अमेरिका की दमनात्मक व्यापार नीतियों और भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के विरोध में देशभर में श्रमिक और किसान संगठनों ने एकजुट होकर 13 अगस्त को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है। यह आंदोलन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए जा रहे 25% शुल्क और रूस से तेल व्यापार पर लगाए जाने की धमकीपूर्ण पाबंदियों के विरोध में आयोजित किया जा रहा है।
देश के 10 प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इस प्रदर्शन का नेतृत्व करने की घोषणा की है। सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में इन संगठनों ने स्पष्ट किया है कि भारत की आर्थिक और सामरिक संप्रभुता को विदेशी नीतियों की बलि चढ़ने नहीं दिया जाएगा। बयान में कहा गया है कि “अमेरिका द्वारा भारत पर शुल्क लगाना और रूस के साथ तेल व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की धमकी देना, हमारी स्वतंत्र विदेश नीति में हस्तक्षेप है। यह किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है।”
भारत-ब्रिटेन एफटीए को लेकर भी इन संगठनों ने गहरी चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि यह समझौता किसानों, श्रमिकों, छोटे व्यापारियों और घरेलू उद्योगों के हितों के खिलाफ है। किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि यह समझौता भारतीय कृषि को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों में सौंप देगा। वहीं, श्रमिक संगठनों का मानना है कि इससे देश में बेरोजगारी और आय असमानता और अधिक बढ़ेगी।
13 अगस्त को आयोजित होने वाले इस विरोध प्रदर्शन में देशभर के किसान, मजदूर, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों, रेलवे स्टेशनों, जिला मुख्यालयों और राजधानी दिल्ली में बड़े धरना-प्रदर्शन की योजना बनाई गई है। एसकेएम के एक प्रतिनिधि ने कहा, “यह केवल एक विरोध नहीं, चेतावनी है, भारत की नीतियों पर विदेशी दबाव किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
संयुक्त बयान में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि वह अमेरिका और ब्रिटेन के साथ किसी भी ऐसे समझौते से परहेज करे जो देश की संप्रभुता, आर्थिक स्वायत्तता और मेहनतकश वर्गों के हितों को नुकसान पहुंचाए। साथ ही रूस से तेल व्यापार पर अमेरिका के किसी भी दबाव को नजरअंदाज करने की अपील भी की गई है।
13 अगस्त को होने वाला यह देशव्यापी प्रदर्शन भारत की नीतिगत स्वतंत्रता और आम जनता के हक के लिए एक निर्णायक लड़ाई की शुरुआत माना जा रहा है।
