बिहार की राजनीति में इन दिनों मतदाता सूची को लेकर भारी बवाल मचा हुआ है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने वैशाली से NDA सांसद वीणा देवी पर गंभीर आरोप लगाया है कि उनके पास दो अलग-अलग मतदाता पहचान पत्र हैं, जो दो अलग जिलों और निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज हैं, और दोनों पर उम्र भी अलग-अलग लिखी हुई है। तेजस्वी ने कहा कि इन दोनों वोटर कार्ड के लिए अलग-अलग फॉर्म भरे गए हैं, जिन पर वीणा देवी ने स्वयं हस्ताक्षर किए हैं और चुनाव आयोग ने भी उन पर अपनी मोहर लगा दी है।
तेजस्वी ने इसे चुनावी धांधली का उदाहरण बताते हुए सवाल उठाया कि क्या यह चुनाव आयोग द्वारा किसी को जीताने की तैयारी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) के नाम पर भाजपा नेताओं को दो-दो EPIC नंबर दिए जा रहे हैं और मतदाता सूची में मनमाने ढंग से बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर खतरा मंडरा रहा है। तेजस्वी ने सिर्फ वीणा देवी ही नहीं, बल्कि बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पर भी ऐसे ही आरोप लगाए हैं कि उनके पास भी दो अलग-अलग वोटर ID हैं जिनमें उम्र का अंतर है।
इस पूरे मामले में NDA ने पलटवार करते हुए तेजस्वी यादव पर ही दो वोटर ID रखने का आरोप लगाया है और चुनाव आयोग से उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है। कुछ नेताओं ने तो तेजस्वी को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। तेजस्वी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए ‘वोट अधिकार यात्रा’ की घोषणा की है और राहुल गांधी के साथ मिलकर इस मुद्दे को सड़क से संसद तक ले जाने का ऐलान किया है। यह विवाद अब केवल एक सांसद या उप मुख्यमंत्री तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह बिहार की चुनावी प्रणाली, निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और लोकतंत्र की मूल भावना पर सीधा सवाल बन गया है।
विपक्ष का कहना है कि अगर कोई नेता दो EPIC कार्ड रखता है तो यह सीधे तौर पर कानून और संविधान का उल्लंघन है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, जबकि सत्ता पक्ष इसे केवल राजनीतिक बयानबाजी बता रहा है। जनता अब इस बात पर निगाह रखे हुए है कि चुनाव आयोग इस मसले पर क्या कार्रवाई करता है और आगे यह विवाद किस दिशा में बढ़ता है।
