भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे टेस्ट मैच में भारतीय गेंदबाज आकाश दीप ने जब इंग्लैंड के बल्लेबाज बेन डकेट को आउट किया, तो उनके जश्न का तरीका विवादों में आ गया। उन्होंने डकेट को आउट करने के बाद उनके पास जाकर कुछ कहा और उनके कंधे पर हाथ भी रखा। यह आक्रामक सेंड-ऑफ कई पूर्व खिलाड़ियों को रास नहीं आया, खासतौर पर ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग को।
पोंटिंग ने सीधा कहा कि अगर उनके जमाने में कोई गेंदबाज ऐसा करता, तो वे उसे सीधे मुक्का जड़ देते। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे व्यवहार की कोई जगह टेस्ट क्रिकेट जैसे गंभीर और प्रतिष्ठित फॉर्मेट में नहीं होनी चाहिए। पोंटिंग ने कहा, "यदि कोई गेंदबाज मेरे इतने पास आकर ऐसा करता, तो उसे तुरंत जवाब मिलता। ये मैदान का अपमान है।"
उन्होंने यह भी कहा कि आक्रामकता सिर्फ प्रदर्शन में दिखनी चाहिए, व्यवहार में नहीं। आकाश दीप जैसे नए खिलाड़ियों को यह समझना जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ विकेट लेना ही नहीं, बल्कि खुद को किस तरह पेश करना है, यह भी उतना ही मायने रखता है।
बेन डकेट की तारीफ करते हुए पोंटिंग ने कहा कि उन्होंने बेहद संयम से काम लिया और कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। “डकेट ने दिखा दिया कि असली प्रोफेशनल क्या होता है। मैदान पर बोलने से ज्यादा काम प्रदर्शन से करना चाहिए,” पोंटिंग ने जोड़ा।
यह घटना पांचवें टेस्ट के दूसरे दिन की थी जब आकाश दीप ने डकेट को विकेट के पीछे कैच आउट कराया। आउट होते ही उन्होंने बल्लेबाज के करीब जाकर आक्रामकता दिखाई, जो खेल की भावना के खिलाफ माना जा रहा है। यहां तक कि भारतीय कप्तान केएल राहुल ने भी हस्तक्षेप कर आकाश दीप को पीछे खींचा।
क्रिकेट की दुनिया में यह बहस पुरानी है कि आक्रामकता की सीमा क्या होनी चाहिए। जब खिलाड़ी उत्साहित होते हैं, तो कुछ हद तक आक्रामक जश्न स्वीकार्य हो सकता है, लेकिन किसी भी तरह का फिजिकल कॉन्टेक्ट या अपमानजनक भाषा अनुचित मानी जाती है।
रिकी पोंटिंग का यह बयान साफ संदेश देता है कि आज भी पुराने खिलाड़ियों की नजरों में खेल की गरिमा सर्वोपरि है। आकाश दीप जैसे युवा गेंदबाजों के लिए यह एक सबक है कि प्रदर्शन के साथ-साथ मैदान पर आचरण भी उतना ही जरूरी है।
