बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची के संशोधन का काम ज़ोरों पर है, लेकिन इस प्रक्रिया ने राज्य की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि नई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में उनका नाम उनके परिवार से अलग बूथ पर दर्ज कर दिया गया है।
तेजस्वी यादव ने दावा किया कि मतदाता सूची से उनका नाम या तो हटाया गया है या फिर जानबूझकर परिवार से अलग बूथ पर शिफ्ट कर दिया गया है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ साजिश बताते हुए कहा कि यह केवल उनके साथ नहीं, बल्कि लाखों गरीबों, मजदूरों, प्रवासियों और दलित वर्ग के मतदाताओं के साथ भी हो रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट लिस्ट से गायब कर दिए गए हैं, जिससे साफ होता है कि मतदाता सूची को एक खास वर्ग के खिलाफ मोड़ने की कोशिश की जा रही है।
इस पर चुनाव आयोग की ओर से जवाब भी आया, जिसमें बताया गया कि तेजस्वी यादव का नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में मौजूद है और यह उसी EPIC नंबर के तहत दर्ज है जो पिछले विधानसभा चुनावों में भी था। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि तेजस्वी द्वारा दिखाया गया दूसरा EPIC नंबर रिकॉर्ड में कहीं नहीं मिला, जिससे आशंका है कि वह नंबर फर्जी हो सकता है या त्रुटिवश गलत जानकारी साझा की गई है।
हालांकि, नई जानकारी यह सामने आई है कि तेजस्वी यादव को जिस बूथ में दिखाया गया है, वह उनके परिवार के बाकी सदस्यों से अलग है। यह स्थिति तब और विवादित हो गई जब उनके पिता लालू प्रसाद यादव और मां राबड़ी देवी के नाम पुराने बूथ पर ही मौजूद हैं, लेकिन तेजस्वी को अलग बूथ पर दिखाया गया है। इस असंगति ने मतदाता सूची की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विपक्ष का आरोप है कि यह सब एक सोची-समझी साजिश के तहत किया जा रहा है ताकि चुनावों में कुछ खास वर्गों को बाहर रखा जा सके। वहीं, सत्ता पक्ष ने इसे महज एक राजनीतिक स्टंट बताते हुए कहा कि यह सिर्फ भ्रम फैलाने की कोशिश है।
राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। क्या वाकई में यह प्रशासनिक त्रुटि है या फिर जानबूझकर किया गया संशोधन? इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में साफ होगा, लेकिन फिलहाल तेजस्वी यादव का यह आरोप राज्य की राजनीति में हलचल जरूर पैदा कर चुका है।
