अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव और ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियों के बीच भारत सरकार ने एक बड़ा और रणनीतिक फैसला लिया है। भारत अब अमेरिका से अत्याधुनिक F-35 स्टील्थ फाइटर जेट नहीं खरीदेगा। यह फैसला उस वक्त आया है जब अमेरिका ने भारत पर 25% तक के टैरिफ लगाने की धमकी दी है और भारत ने भी जवाबी शुल्क की तैयारी की है।
F-35 फाइटर जेट को दुनिया का सबसे आधुनिक और अत्याधुनिक युद्धक विमान माना जाता है, जिसे लॉकहीड मार्टिन कंपनी बनाती है। अमेरिका ने हाल ही में भारत को इस विमान की पेशकश की थी, लेकिन भारत की सुरक्षा और रक्षा जरूरतों को देखते हुए अब यह सौदा रद्द कर दिया गया है।
भारत के रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह फैसला केवल तकनीकी या आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है। भारत अब स्वदेशी तेजस फाइटर जेट, राफेल और रूस से खरीदे गए सुखोई और मिग विमानों पर फोकस कर रहा है।
इस फैसले से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत अमेरिकी दबाव में नहीं झुकेगा और अपने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में गंभीर है। वहीं, अमेरिका के इस प्रस्ताव को ठुकराना केवल एक रक्षा सौदे का अंत नहीं, बल्कि वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों में भारत की स्पष्ट भूमिका का संकेत भी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत यह दिखाना चाहता है कि वह अब केवल रक्षा सामग्री का उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक वैश्विक खिलाड़ी है, जो अपनी शर्तों पर सौदे करेगा। F-35 जैसे विमानों का रखरखाव, तकनीकी निर्भरता और अमेरिकी शर्तें भारत के दीर्घकालिक रक्षा दृष्टिकोण से मेल नहीं खातीं।
यह फैसला आने वाले दिनों में अमेरिका और भारत के रक्षा संबंधों को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना बाकी है, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि भारत अपने हितों को प्राथमिकता देते हुए आत्मनिर्भर रक्षा नीति की ओर बढ़ चला है।
