बिहार-नेपाल बॉर्डर से जैश आतंकियों की घुसपैठ, चुनाव से पहले हाई अलर्ट

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार में विधानसभा चुनाव की हलचल के बीच सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ा अलर्ट जारी किया है। खुफिया एजेंसियों की ताज़ा रिपोर्ट में साफ़ चेतावनी दी गई है कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी नेपाल की सीमा पार करके बिहार में दाखिल हो चुके हैं। यह इनपुट आते ही बिहार पुलिस मुख्यालय ने पूरे राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है।


इन तीन आतंकियों की पहचान भी सामने आ चुकी है। इनमें पहला है हसनैन अली, जो पाकिस्तान के रावलपिंडी का रहने वाला बताया जा रहा है। दूसरा है आदिल हुसैन, जिसका संबंध उमरकोट से है। जबकि तीसरे का नाम मोहम्मद उस्मान है, जो बहावलपुर का रहने वाला बताया जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, ये तीनों आतंकी अगस्त के दूसरे हफ्ते में काठमांडू पहुँचे थे और वहाँ से गुप्त तरीके से नेपाल के ज़रिए भारत में दाखिल हुए।


खुफिया इनपुट्स में यह भी संकेत मिले हैं कि इन आतंकियों का मकसद बिहार या उसके आसपास किसी संवेदनशील जगह को निशाना बनाना हो सकता है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए आशंका है कि ये आतंकी माहौल बिगाड़ने और दहशत फैलाने के लिए किसी बड़ी साज़िश को अंजाम दे सकते हैं। यही वजह है कि बिहार पुलिस ने सभी ज़िलों में सतर्कता बढ़ा दी है और ख़ासकर नेपाल बॉर्डर से लगे इलाकों में चौकसी कड़ी कर दी गई है।


सीमा सुरक्षा बल, स्थानीय पुलिस और खुफिया विभाग के अधिकारी लगातार बॉर्डर इलाकों की निगरानी कर रहे हैं। संदिग्धों पर नज़र रखने के लिए अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं और होटलों, लॉज तथा पब्लिक प्लेसेज़ पर सघन चेकिंग चल रही है। इसके साथ ही, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर भी सख़्त सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी गई है।


सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे अफ़वाहों पर ध्यान न दें, लेकिन अगर कहीं कोई संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि दिखाई दे तो तुरंत पुलिस या सुरक्षा एजेंसियों को सूचना दें। अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल आतंकियों का लोकेशन स्पष्ट नहीं है, लेकिन सभी सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से अलर्ट पर हैं और कोशिश है कि इन आतंकियों को जल्द से जल्द ढूंढकर काबू में किया जाए।


यह पहला मौका नहीं है जब नेपाल बॉर्डर के रास्ते आतंकियों की घुसपैठ की खबर सामने आई हो। इस बार विधानसभा चुनाव को देखते हुए खतरे को और गंभीर माना जा रहा है। यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियां इसे सामान्य चेतावनी नहीं, बल्कि उच्च-स्तरीय खतरे का संकेत मान रही हैं।

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