अमेरिका के मिनेसोटा राज्य में हुई गोलीबारी ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। हमलावर की राइफल पर नफरत से भरे संदेश लिखे हुए थे, जिनमें "Nuke India", "Israel Must Fall" और "Donald Trump" जैसे वाक्य शामिल थे। इन संदेशों से साफ झलकता है कि आरोपी के मन में कई देशों और नेताओं के प्रति गहरी नफरत थी। इस घटना ने न केवल अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता बढ़ा दी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी ने जिस हथियार से हमला किया, उस पर हाथ से लिखे हुए स्लोगन साफ नज़र आ रहे थे। इसमें भारत और इज़रायल के खिलाफ हिंसक संदेश दर्ज थे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के संदेश यह दर्शाते हैं कि आरोपी लंबे समय से चरमपंथी विचारधारा से प्रभावित था और उसने इसे अपने हमले का प्रतीक बना दिया।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि आरोपी ने गोलीबारी के दौरान भी नफरत भरे नारे लगाए। हालांकि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हालात को काबू में कर लिया, लेकिन इस घटना ने पूरे अमेरिका में नस्ली और धार्मिक हिंसा को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
भारत और इज़रायल दोनों ही आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ सख्त रुख अपनाते आए हैं। ऐसे में अमेरिकी धरती पर इस तरह के नफरत भरे संदेश लिखकर हमला करना केवल स्थानीय स्तर पर नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गंभीर संकेत है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जब किसी हमलावर के हथियार पर इस तरह के अंतरराष्ट्रीय संदेश लिखे जाते हैं, तो यह केवल व्यक्तिगत अपराध नहीं रह जाता बल्कि यह बड़े स्तर पर संगठित नफरत और विचारधारा की झलक देता है। इस घटना ने अमेरिकी प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है कि वह कट्टरपंथ और हथियारों की उपलब्धता पर और सख्ती से कार्रवाई करे।
फिलहाल जांच एजेंसियां आरोपी की पृष्ठभूमि, उसके संपर्क और प्रेरणा के स्रोतों की पड़ताल कर रही हैं। इस हमले ने एक बार फिर दुनिया को यह याद दिलाया है कि नफरत और हिंसा की विचारधाराएँ केवल स्थानीय सीमाओं तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि वे अंतरराष्ट्रीय संबंधों और शांति के लिए भी बड़ा खतरा बन सकती हैं।
