सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश: आठ हफ्तों में दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्ते हटाए जाएं

Jitendra Kumar Sinha
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सुप्रीम कोर्ट ने आज आवारा कुत्तों के मामले में एक ऐतिहासिक और सख्त फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर हटाकर स्थायी रूप से आश्रयों में रखा जाए। आदेश में साफ कहा गया कि पकड़े गए कुत्तों को वैक्सीनेशन और नसबंदी के बाद किसी भी हालत में दोबारा सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और खासकर बच्चों और बुजुर्गों को भौंकते-काटते कुत्तों के डर में नहीं जीना चाहिए। अदालत ने माना कि पुराने तरीके, जिनमें कुत्तों को पकड़कर फिर वहीं छोड़ दिया जाता था, न केवल अप्रभावी हैं बल्कि जन सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी हैं।


कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि सभी नगर निकाय और संबंधित विभाग तुरंत योजना बनाकर अमल में लाएं। इसके तहत कुत्तों को पकड़ने के लिए टीमों का गठन होगा, आश्रयों में रहने की उचित व्यवस्था की जाएगी, सीसीटीवी से निगरानी रखी जाएगी और एक हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया जाएगा, जिससे लोग किसी हमलावर या आक्रामक कुत्ते की जानकारी दे सकें। कोर्ट ने कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह मानवीय तरीके से होनी चाहिए लेकिन इसमें ढिलाई या बहानेबाज़ी की कोई गुंजाइश नहीं होगी।


इस फैसले पर जहां आम जनता के एक बड़े हिस्से ने राहत की सांस ली है, वहीं पशु प्रेमी और कई एनजीओ इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह फैसला अमानवीय है और कुत्तों को शहर के पारिस्थितिकी तंत्र से अलग करने से नई समस्याएं पैदा होंगी। कई लोगों ने कोर्ट से पुनर्विचार की मांग की है। कुछ ने यह भी कहा कि सभी कुत्ते खतरनाक नहीं होते और सभी को एक जैसा मानकर हटाना गलत होगा।


इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक आवारा कुत्ता एक व्यक्ति पर हमला करता दिखा। यह वीडियो अदालत के आदेश को सही ठहराने वालों के लिए एक सबूत बन गया कि अब सख्त कदम उठाने का समय आ चुका है। दूसरी तरफ कुछ पोस्ट और मैसेज भी फैल रहे हैं, जिनमें हिंसक विरोध की बातें की जा रही हैं, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया है।


कुल मिलाकर यह फैसला देश की न्याय व्यवस्था में एक ऐसा मोड़ है, जहां इंसानी जान और सुरक्षा को पशु अधिकारों के ऊपर प्राथमिकता दी गई है। अब आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकारें इस आदेश को कितनी गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ लागू करती हैं और क्या यह कदम वास्तव में शहरी क्षेत्रों को कुत्तों के आतंक से मुक्त कर पाएगा या नहीं।

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