आभा सिन्हा, पटना
भारतीय सनातन परंपरा में रुद्राक्ष केवल एक बीज नहीं है, बल्कि अध्यात्म, आयुर्वेद और तंत्रज्ञान का अमूल्य रत्न है। शिव के नेत्रों से प्रकट हुए रुद्राक्षों को धारण करने से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि आध्यात्मिक ऊँचाई भी सहज सुलभ हो जाता है। अलग-अलग मुखों वाले रुद्राक्षों का अलग-अलग महत्व है। इन्हीं में एक अत्यंत दुर्लभ, शक्तिशाली और विशेष रुद्राक्ष है अठारह मुखी रुद्राक्ष।
अठारह मुखी रुद्राक्ष को पृथ्वी देवी (भू देवी) का प्रतीक माना जाता है। यह रुद्राक्ष उन लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ और उपयोगी है जो भूमि, निर्माण, खनिज, रियल एस्टेट, खनन, कृषि, वृक्षारोपण, वाणिज्य और संरक्षण जैसे क्षेत्रों से जुड़े हैं। इसे धारण करने वाला व्यक्ति जीवन में स्थिरता, सम्पन्नता और सुरक्षा का अनुभव करता है।
शिवपुराण, देवी भागवत और अन्य ग्रंथों में अठारह मुखी रुद्राक्ष की प्रशंसा करते हुए इसे पितृ दोष, वंश दोष, कर्ज, स्थायी दरिद्रता और भूमि संबंधी विवादों के निवारण का प्रमुख उपाय बताया गया है। यह रुद्राक्ष पृथ्वी माता का प्रतीक होने के कारण धैर्य, विवेक, मूल से जुड़ाव, और अर्थ सुख की प्राप्ति कराता है।
अठारह मुखी रुद्राक्ष में 18 स्पष्ट धारियाँ या रेखाएं, जो शीर्ष से आधार तक फैली होती हैं। इसका रंग गहरा भूरा या काला होता है। आकार मध्यम से बड़ा, कुछ मामलों में गोल, कभी-कभी अंडाकार भी होता है। इसका उद्गम मुख्यत: नेपाल, इंडोनेशिया और भारत के हिमालयी क्षेत्रों से है। यह अत्यंत दुर्लभ है प्रत्येक 1 लाख रुद्राक्षों में से 1 अठारह मुखी मिलता है।
अठारह मुखी रुद्राक्ष की अधिष्ठात्री देवी भू देवी हैं, जो भगवान विष्णु की पत्नी और पृथ्वी की अधिष्ठात्री शक्ति हैं। यह रुद्राक्ष धरती की ऊर्जा, स्थायित्व और पोषण को मानव शरीर में समाहित करता है।
भू देवी की विशेषता है धैर्य और सहनशीलता का प्रतीक। प्रजनन और स्थायित्व की देवी। कृषि, खनिज और धन की देवी।
यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष है, जैसे श्राद्ध न करना, पूर्वजों की आत्मा अप्रसन्न होना, तो अठारह मुखी रुद्राक्ष उस दोष को दूर करता है। इससे वंश वृद्धि, स्वास्थ्य और संतान सुख में सुधार होता है।
जिनके जीवन में भूमि खरीद-बिक्री, मकान विवाद, रियल एस्टेट केस, या जमीन से संबंधित कानूनी समस्याएं होती हैं, उनके लिए अठारह मुखी रुद्राक्ष रामबाण है।
अठारह मुखी रुद्राक्ष व्यवसाय को नई दिशा देता है, खासकर उन व्यवसायों में जहाँ जमीन, कंस्ट्रक्शन, आर्किटेक्चर, खनिज या वन संपदा शामिल हो।
भू देवी की कृपा से अठारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के मन में स्थायित्व, संतुलन और सहनशक्ति आती है। यह रचनात्मकता और निर्णय क्षमता में वृद्धि करता है।
जिन महिलाओं को गर्भधारण में समस्या होती है, उनके लिए भी यह लाभकारी है। यह स्त्री शक्ति और प्रजनन ऊर्जा को बढ़ाता है।
अठारह मुखी रुद्राक्ष को धन की स्थिरता और जमीन-जायदाद से आय के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
रुद्राक्ष बीजों में पाए जाने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुण मानव शरीर की स्नायु प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। अठारह मुखी रुद्राक्ष, जो स्थायित्व और जमीन से जुड़ा है, वह मनोवैज्ञानिक रूप से सुरक्षा, धरातल से जुड़ाव, निर्णय की दृढ़ता, और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
EMG टेस्ट (Electromyography) से यह प्रमाणित हो चुका है कि रुद्राक्ष की विभिन्न आकृतियाँ मस्तिष्क और हृदय के संवेदी संकेतों को प्रभावित करता है।
अठारह मुखी रुद्राक्ष रियल एस्टेट एजेंट को जमीन से लाभ, किसान को भूमि की उर्वरता और फलदायिता, आर्किटेक्ट को निर्माण क्षेत्र में सफलता, महिलाएँ को संतान सुख व प्रजनन क्षमता, वकील / जज को भूमि संबंधित केसों में सफलता, तांत्रिक साधक को पितृ दोष निवारण साधन, और आध्यात्मिक साधक को पृथ्वी तत्त्व की साधना के लिए , धारण करने से लाभ मिलता है।
अठारह मुखी रुद्राक्ष को गंगाजल, पंचामृत या गौमूत्र से स्नान करा कर, गाय के दूध में डुबोकर ।।ॐ ह्रीं श्रीं वसुंधरायै नमः।। मंत्र से 108 बार जप कर रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर, सोमवार या शनिवार को प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में, रुद्राक्ष को सोने, चाँदी, तांबे या पंचधातु की माला में गले या दाहिने हाथ की बाजू में पहनना शुभ होता है।
रुद्राक्ष को कभी भी किसी और को नही देना चाहिए, रुद्राक्ष पहनकर मांस, मदिरा, अशुद्धता, असत्य भाषण से बचना चाहिए, पूजा-पाठ, ध्यान और नियमबद्ध जीवन से इसका प्रभाव तीव्र होता है। इसे रात में सोते समय उतारकर रखना चाहिए, विशेष रूप से यदि शौचालय से सटे कमरे में सोएं।
असली रुद्राक्ष पानी में डुबोने पर तैरता नहीं नहीं है। प्राकृतिक रुद्राक्ष में स्वयं छिद्र होता है। अठारह मुखी रुद्राक्ष में 18 स्पष्ट मुख या धारियाँ होता है। असली रुद्राक्ष में प्राकृतिक चुंबकीय गुण होता है। सर्वश्रेष्ठ अठारह मुखी रुद्राक्ष नेपाल का माना जाता है, इसके बाद इंडोनेशियन आता है।
अठारह मुखी रुद्राक्ष पितृ दोष निवारण तांत्रिक प्रयोग के लिए काले तिल, ताम्रपात्र, कुश और अठारह मुखी रुद्राक्ष को साथ लेकर अमावस्या के दिन पितृ मंत्रों का जप करना चाहिए। धन प्राप्ति के लिए रुद्राक्ष को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या लॉकर में रखना चाहिए। कुंडली दोष सुधार के लिए यदि कुंडली में भूमि स्थान (चतुर्थ भाव) या शुक्र/शनि/केतु पीड़ित हो तो यह रुद्राक्ष अवश्य लाभ देगा।
अठारह मुखी रुद्राक्ष केवल एक धार्मिक वस्तु नहीं है, बल्कि यह जीवन में स्थायित्व, सुरक्षा, संतुलन और मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। यह रुद्राक्ष जड़ों से जोड़ता है, चाहे वह पूर्वज हों, भूमि हो, या आत्मा। जो भी साधक अथवा व्यक्ति इसे श्रद्धा से धारण करता है, उसकी सभी ‘जड़’ समस्याएं जैसे वंश, भूमि, स्त्री–संतान, संपत्ति, धीरे-धीरे सुलझने लगता है।
