प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा ऐतिहासिक और बेहद खास रहा। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के दौरान उन्होंने आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया और साफ कहा कि इस पर किसी तरह का दोहरा रवैया स्वीकार नहीं किया जा सकता। मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए इसे मानवता पर सीधा हमला बताया और कहा कि आतंकवाद से लड़ना मानवता का कर्तव्य है। उन्होंने SCO का नया फुलफॉर्म भी पेश किया—S से Security (सुरक्षा), C से Connectivity (संपर्क) और O से Opportunity (अवसर)।
सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी हुई। पुतिन से मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच गहरी बातचीत हुई। खास बात यह रही कि पुतिन मोदी का करीब 10 मिनट तक इंतजार करते दिखे, फिर दोनों पुतिन की ऑरस कार में साथ बैठे और लगभग 45 मिनट तक वहीं चर्चा की। इसके बाद एक घंटे तक औपचारिक द्विपक्षीय बैठक भी चली। इसमें आर्थिक, वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा की गई। मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को जल्द खत्म करने की अपील करते हुए इसे “मानवता की पुकार” कहा।
सम्मेलन स्थल पर मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग को साथ खड़े होकर बातचीत करते भी देखा गया। शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता में मोदी ने व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने पर जोर दिया और कहा कि सीमा विवादों का समाधान “न्यायसंगत रास्ते” से होना चाहिए। दोनों नेताओं ने इस दिशा में आगे बढ़ने और साझा चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग मजबूत करने पर सहमति जताई।
मोदी ने अपनी इस यात्रा को “उपजाऊ और सार्थक” बताया। उन्होंने कहा कि SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने, विभिन्न विश्व नेताओं से मुलाकात करने और भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट रखने का अवसर मिला। साथ ही, उन्होंने चीनी राष्ट्रपति, सरकार और जनता को सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद भी दिया।
सात साल बाद हुई यह चीन यात्रा भारत की वैश्विक भूमिका को और मजबूत करती है और यह संकेत देती है कि भारत संवाद, विश्वास और रणनीतिक साझेदारी के पुराने लेकिन सशक्त तरीकों पर ही आगे बढ़ना चाहता है।
