पक्षियों की दुनिया में कई रंग-बिरंगे और चहचहाने वाले साथी होते हैं, लेकिन “अफ्रीकी ग्रे तोता (African Grey Parrot)” उनमें सबसे खास माना जाता है। यह तोता न केवल अपनी खूबसूरत धूसर पंखों और लाल पूंछ से लोगों का ध्यान खींचता है, बल्कि अपनी अद्भुत बुद्धिमत्ता और बोलने की क्षमता से भी सबको चौंका देता है। वैज्ञानिक नाम सिटाकस एरिथेकस (Psittacus erithacus) वाला यह पक्षी, पक्षी प्रेमियों और शोधकर्ताओं दोनों के बीच बेहद लोकप्रिय है।
“अफ्रीकी ग्रे तोता” की सबसे बड़ी खासियत इसकी बोलने और सीखने की शक्ति है। यह सिर्फ कुछ शब्द नहीं बल्कि सैकड़ों शब्द, वाक्यांश और यहां तक कि पूरे वाक्य बोल सकता है। इसकी आवाज इतनी स्पष्ट होती है कि कई बार सुनने वाला भ्रमित हो जाता है कि यह इंसान बोल रहा है या पक्षी। कई वैज्ञानिक अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि ये तोते संदर्भ के आधार पर सही जवाब भी दे सकता है।
“अफ्रीकी ग्रे तोता” केवल इंसानी भाषा ही नहीं, बल्कि आसपास के वातावरण की आवाजों की भी नकल कर सकता है। यह फोन की घंटी, दरवाजे की घंटी, अलार्म, कुत्ते की भौंक और यहां तक कि प्रेशर कुकर की सीटी तक हूबहू निकाल सकता है। यही वजह है कि इसकी मौजूदगी घर को हमेशा चहचहाहट और हल्की-फुल्की शरारतों से भर देती है।
कई शोधों में यह पाया गया है कि इस तोता की मानसिक क्षमता 5 साल के बच्चे के बराबर होती है। प्रसिद्ध शोधकर्ता डॉ. आइरीन पेपरबर्ग ने अपने तोता “एलेक्स” पर 30 साल तक अध्ययन किया और पाया कि यह तोता गिनती करना, रंग पहचानना, आकार बताना और यहां तक कि ‘हां’ या ‘ना’ में जवाब देना भी जानता था।
यह तोता मूल रूप से पश्चिम और मध्य अफ्रीका के घने वर्षावनों में पाए जाते हैं। कांगो, घाना और आइवरी कोस्ट इनके प्रमुख आवास हैं। वहां ये पेड़ों की ऊंची डालियों पर झुंड में रहते हैं और फलों, बीजों और मेवों पर अपना भोजन करते हैं।
आजकल “अफ्रीकी ग्रे तोता” पालतू पक्षी के रूप में बहुत लोकप्रिय है, लेकिन इनकी तस्करी और अवैध व्यापार से इनकी संख्या घट रही है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने इन्हें ‘संवेदनशील प्रजाति’ की सूची में डाला है। इनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि इन्हें प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रखें और जिम्मेदारी से पालतू बनाएं।
