शहर की सड़कों पर गाड़ियों का शोर, ट्रैफिक का कोलाहल और लगातार बजते हॉर्न, यह सब जीवन का हिस्सा बन चुका है। लेकिन अब इस शोर-शराबे से कुछ राहत मिलने जा रही है। परिवहन विभाग ने एक सराहनीय पहल की घोषणा की है जिसके तहत हर रविवार को राज्यभर में ‘हॉर्न-फ्री डे’ मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य लोगों को ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना और सड़क पर अनुशासन का पालन सुनिश्चित करना है।
अत्यधिक हॉर्न बजाना सिर्फ कानों को तकलीफ नहीं देता है, बल्कि यह स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार ऊंची आवाज के संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता कम होना, तनाव, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन और हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी ध्वनि प्रदूषण को एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट मानता है।
पटना परिवहन विभाग का मानना है कि रविवार को ट्रैफिक अपेक्षाकृत कम रहता है, इसलिए इस दिन से शुरुआत करना बेहतर रहेगा। शहर के प्रमुख चौराहों, स्कूलों, अस्पतालों और बाजारों के पास ‘नो हॉर्न’ के बोर्ड लगाए जाएंगे। पुलिस और ट्रैफिक विभाग की टीमें निगरानी करेगी कि अनावश्यक हॉर्न बजाने वालों पर कार्रवाई हो।
अभियान तभी सफल होगा जब नागरिक इसमें सक्रिय रूप से भाग लेगे। परिवहन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे रविवार को केवल आपात स्थिति में ही हॉर्न का प्रयोग करें। ड्राइवरों को चाहिए कि वे पर्याप्त दूरी बनाए रखें, समय से पहले घर से निकलें और धैर्यपूर्वक वाहन चलाएं। स्कूल और कॉलेज के छात्र भी इस अभियान से जुड़कर जागरूकता फैला सकते हैं।
“हॉर्न-फ्री डे” सिर्फ एक दिन की पहल नहीं है, बल्कि यह लोगों की आदतें बदलने की कोशिश है। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो भविष्य में इसे पूरे सप्ताह लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही सरकार का उद्देश्य है कि लोग शांत और सुरक्षित यातायात संस्कृति को अपनाएं।
पटना में शुरू हुआ यह अभियान न केवल शहर को शोर से राहत देगा बल्कि लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में भी प्रेरित करेगा। अब यह सबकी जिम्मेदारी है कि हर रविवार अपनी गाड़ियों के हॉर्न को खामोश रखें और शांति की इस नई पहल को सफल बनाएं।
