तमिलनाडु के करूर में टीवीके (तमिलगा वेट्री कषगम) की रैली में भगदड़ लगने से 39 लोगों की जान चली गई और 50 से अधिक लोग घायल हुए। रैली के लिए आयोजकों ने 30,000 लोगों की अनुमति ली थी, लेकिन वहाँ अनुमान से दोगुना भीड़—लगभग 60,000 से अधिक लोग—एकत्र हो गए थे, और भीषण गर्मी व लंबे समय तक खड़े रहने के कारण कई लोग बेहोश हुए; इसी अफरातफरी में भगदड़ भरी घटना घटी।
बताया जा रहा है कि विजय को दोपहर एक बजे पहुंचना था, लेकिन वह नमक्कल की रैली के बाद छह घंटे से भी अधिक देरी से शाम के करीब 7:40 बजे पहुँचे; इससे पहले लोग सुबह से ही—लगभग 11 बजे से—इकट्ठा होना शुरू हो चुके थे और कई घंटों तक पानी व भोजन की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण स्थिति बिगड़ी। रैली के समय की अनुमति दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक दी गई थी, पीने के पानी की व्यवस्था नहीं की गई थी और आयोजकों ने खुले मैदान में रैली करने का सुझाव स्वीकार नहीं किया।
राज्य के कार्यवाहक डीजीपी जी. वेंकटरमन ने बताया कि मौके पर 500 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे और मृतकों में 12 पुरुष, 16 महिलाएँ व 10 बच्चे शामिल बताए गए। कई घायलों को नज़दीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि लोग भूखे-प्यासे घंटों खड़े थे और सिर्फ एक झलक पाने की उम्मीद में जमा थे — हालत बिगड़ने के बाद भगदड़ ने तबाही मचाई।
मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने घटना की जांच के लिए एक आयोग गठित किया है जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश अरुणा जगदीशन करेंगी; सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये और घायलों के लिए 1 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा भी की है। घटना के सिलसिले में टीवीके के करूर पश्चिम जिला सचिव वीपी मथियाझागन के खिलाफ चार धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
यह दर्दनाक हादसा आयोजकीय चूक, भीषण भीड़ और समय पर कार्यक्रम-संयोजन की कमी का नतीजा दिखता है—और जिन सवालों के जवाब अभी चाहिए वे आयोग की जांच से ही मिलने हैं।
