नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफे के बाद पहली बार प्रतिक्रिया दी है। अपने बयान में उन्होंने सरकार छोड़ने के पीछे जनता के हित और संवैधानिक मर्यादाओं का हवाला दिया, लेकिन उनका भारत-विरोधी तेवर पहले जैसा ही बरकरार रहा। ओली ने कहा कि नेपाल की संप्रभुता और आत्मनिर्भरता किसी भी कीमत पर समझौते के लिए नहीं है और नेपाल को अपने पड़ोसियों के दबाव में आने की जरूरत नहीं है। उन्होंने भारत का नाम लिए बिना यह संकेत दिया कि नेपाल के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ओली ने दावा किया कि उनके इस्तीफे से राजनीतिक स्थिरता आएगी, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी और उनका संघर्ष नेपाल को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनाने के लिए जारी रहेगा। उनके इस बयान को विशेषज्ञ अभी भी भारत के खिलाफ पुराने रुख की निरंतरता के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि अपने कार्यकाल के दौरान भी वे कई बार भारत के खिलाफ तीखे बयान दे चुके थे।
