बीजिंग की शक्ति प्रदर्शनी

Jitendra Kumar Sinha
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बीजिंग में चीन ने 3 सितंबर 2025 को द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर मिली जीत की 80वीं वर्षगांठ को बेहद भव्य और शक्ति प्रदर्शन से भरी सैन्य परेड के साथ मनाया। यह दिन चीन में विक्ट्री डे के रूप में मनाया जाता है और इस बार का आयोजन न सिर्फ ऐतिहासिक स्मृति का हिस्सा था, बल्कि वैश्विक स्तर पर शक्ति संतुलन को लेकर चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षा का संकेत भी था। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने परेड की अध्यक्षता की, जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन जैसे विशेष अतिथि मंच पर मौजूद रहे। इस उपस्थिति ने परेड को और अधिक राजनीतिक महत्व दे दिया क्योंकि यह स्पष्ट संकेत था कि चीन अपने करीबी साझेदार देशों के साथ मिलकर पश्चिमी देशों और खासकर अमेरिका को चुनौती देने के लिए तैयार है।


परेड में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने अब तक के सबसे उन्नत और आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया। इनमें सबसे पहले नजरें खींचीं KJ-600 नामक एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एयरक्राफ्ट ने, जिसे चीन ने अपने विमानवाहक पोतों के लिए तैयार किया है। यह विमान अमेरिका के E-2 Hawkeye की तरह है और इसे दुश्मन की गहरी गतिविधियों का पता लगाने के लिए बनाया गया है। इसके बाद परेड में दिखाई दिया J-20S दो सीटों वाला स्टेल्थ फाइटर जेट, जिसे चीन ने पांचवीं पीढ़ी का सबसे घातक युद्धक विमान बताया। इसके अतिरिक्त HQ-19, HQ-12 और HQ-29 समेत छह तरह के एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम प्रस्तुत किए गए, जिनका दावा है कि ये किसी भी आने वाले बैलिस्टिक या क्रूज़ मिसाइल हमले को रोक सकते हैं। इस प्रदर्शन ने साफ कर दिया कि चीन अब सिर्फ रक्षा नहीं बल्कि आक्रामक क्षमताओं पर भी जोर दे रहा है।


जमीनी हथियारों में PCH-191 लॉन्ग-रेंज मॉड्यूलर रॉकेट लॉन्चर प्रमुख आकर्षण रहा, जिसकी रेंज और मारक क्षमता इतनी अधिक बताई गई कि यह दुश्मन की गहराई तक प्रहार कर सकता है। परेड में दिखाए गए आधुनिक टैंकों और आर्टिलरी सिस्टम्स ने यह संदेश दिया कि चीनी थल सेना लगातार तकनीकी रूप से बेहतर और घातक बनती जा रही है। इसके अलावा ड्रोन तकनीक और अनमैन्ड ग्राउंड व्हीकल सिस्टम्स ने यह दर्शाया कि चीन युद्ध के भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मानवरहित प्रणालियों पर भारी निवेश कर रहा है। समुद्री मोर्चे पर एंटी-सबमरीन मिसाइलों का प्रदर्शन यह दिखाने के लिए किया गया कि चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने दुश्मनों की पनडुब्बियों का मुकाबला करने में भी सक्षम है।


परेड का सबसे बड़ा और शायद सबसे विवादित प्रदर्शन था DF-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, जिसे चीन की रणनीतिक परमाणु ताकत का प्रतीक माना जाता है। चीन ने दावा किया कि यह मिसाइल पूरी दुनिया को निशाना बनाने में सक्षम है और इसकी मारक क्षमता इतनी दूर तक जाती है कि कोई भी देश इससे बाहर नहीं है। यही वह हथियार है जिसने पश्चिमी देशों और खासकर अमेरिका में गहरी चिंता पैदा कर दी है क्योंकि इससे चीन का संदेश साफ हो गया कि उसकी पहुंच सिर्फ एशिया तक सीमित नहीं है।


इस पूरी परेड में एक ओर चीन ने अपने सैनिकों की पारंपरिक सैन्य ताकत को प्रदर्शित किया, वहीं दूसरी ओर यह संकेत भी दिया कि अब उसका लक्ष्य एक नई विश्व व्यवस्था स्थापित करना है। रूस और उत्तर कोरिया जैसे देशों की मौजूदगी से यह गठजोड़ और स्पष्ट होता है कि चीन पश्चिमी देशों से अलग ध्रुव बनाने की कोशिश कर रहा है। यह परेड चीन के लिए केवल स्मृति दिवस नहीं थी बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी था—कि बीते 80 वर्षों में वह युद्ध पीड़ित राष्ट्र से उठकर अब दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य और आर्थिक ताकतों में शामिल हो चुका है और उसका मकसद आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय राजनीति की धुरी को अपने पक्ष में मोड़ना है।

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