भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में दिए गए अपने संबोधन में एक स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया—उन्होंने उस पड़ोसी देश का ज़िक्र करते हुए कहा कि “हमारे पास दशकों से एक ऐसा पड़ोसी रहा है जो वैश्विक आतंकवाद का एक 'एपिसेंटर' (epicentre) रहा है,” और इस बात पर महासभा में जबरदस्त तालियों की गूँज हुई।
जयशंकर ने अपने भाषण में आतंकवाद, बहुपक्षीय संस्थाओं की क्राइसिस जैसी व्यापक चुनौतियों का जिक्र करते हुए भारत के अनुभव और नीति का हवाला दिया और पहलगाम में हुए घातक हमले का उल्लेख कर उसे 'बरबरिक' बताया—यह सब एक उन सवालों का हिस्सा था जिन पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहमति और जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर दिया।
अपना संबोधन उन्होंने पारंपरिक अभिवादन के साथ शुरू किया—“नमस्कार from the people of Bharat”—और भाषण के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद से निपटना हमारे लिए प्राथमिकता है क्योंकि यह कट्टरता, हिंसा और असहिष्णुता का समिश्रण है; उनके तीक्ष्ण शब्दों और सीधे तंज पर महासभा में मातृभूमि की पंक्तियों और कई प्रतिनिधियों ने जोरदार समर्थन जताया।
जयशंकर के इस रूढ़िवादी-प्रखर रुख और खुलेआम की गई निंदा ने वैश्विक मंच पर भारत की सुरक्षा चिंताओं को फिर उभारा है, और उनके भाषण के वीडियो क्लिपों व विस्तृत रिपोर्टों में भी यही प्रतिक्रिया दर्ज की जा रही है।
