पूर्व पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ‘शर्मनाक’ मानते हैं कि भारत- पाकिस्तान के बीच एशिया कप मैच में हाथ ना मिलाने जैसी परंपरा को नजरअंदाज कर देना खेल भावना के लिए एक झटका है। भारत ने पाकिस्तान को सात विकेट से हराया — पचास ओवरों में नहीं, बल्कि सिर्फ 15.5 ओवर में। लेकिन इस जीत से ज़्यादा चर्चा ख़त्म होने के बाद हुई जब भारतीय टीम कप्तान सूर्यकुमार यादव और साथी खिलाड़ी पाकिस्तान की ओर बढ़ते नहीं दिखे; वे सीधे ही ड्रेसिंग रूम की ओर चले गए, जबकि पाक टीम परंपरागत हाथ मिलाने के इंतज़ार में मैदान पर खड़ी रही। अख्तर ने कहा कि मानवीय गरिमा इसी में होती है, चाहे देश के बीच तनाव कितना भी गहरा क्यों न हो।
उन्होंने जोश में कहा, “मामले चाहे कितने भी गर्म हों, अगर हाथ मिलाने से कुछ बदलेगा या देश का मान बढ़ेगा, तो हाथ मिलाना ही समझदारी है। फ़ुटबॉल में जैसे संघर्ष हो, लेकिन हाथ मिलाकर चलता है, ऐसे ही क्रिकेट में भी।” अख्तर ने यह भी कहा कि सलमान अगा कप्तान सही थे जब उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा नहीं लिया — क्योंकि टीम का सम्मान ठेस पहुंची थी। दूसरी ओर सूर्यकुमार यादव ने साफ तारीफ़ की कि यह निर्णय बीसीसीआई और सरकार की सहमति से लिया गया था और इस जीत को उन्होंने पठ्ठियों को (पाहलगम हमले) और भारतीय सशस्त्र बलों को समर्पित किया।
यादव ने जोर देकर कहा कि “कुछ चीज़ें जीवन में खेल भावना से ऊपर होती हैं।” पाकिस्तान के कोच माइक हेसन ने अपनी उदासी जाहिर की— कहा कि वे तो हाथ मिलाने को तैयार थे, लेकिन विपक्षी जल्दी से अंदर चले गए। पाक बोर्ड अध्यक्ष मोहसिन नक़वी ने भी इस रवैये को “खेल भावना का उल्लंघन” बताते हुए आलोचना की। राशिद लतीफ़ ने सवाल किया कि अगर मामला वास्तव में पहलगम की घटना से जुड़ा है, तो उसे युद्ध में लड़ो; खेल में क्यों? अख्तर का कहना था कि राजनीति को खेल के आईने में मत लाओ — खेल को खेल रहने दो।
