भारत का आत्मनिर्भर डिजिटल युग की दिशा में बड़ा कदम - “स्वदेशी एआई मॉडल”

Jitendra Kumar Sinha
0



भारत अब कृत्रिम मेधा (Artificial Intelligence - AI) के क्षेत्र में अपनी एक नई पहचान बनाने जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव एस. कृष्णन ने शुक्रवार को जानकारी दी कि देश में विकसित किया जा रहा स्वदेशी एआई मॉडल अगले साल फरवरी में आयोजित होने वाले ‘इंडिया एआई इंपैक्ट समिट’ से पहले पूरी तरह तैयार हो जाएगा। यह घोषणा भारत के डिजिटल भविष्य की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

एस कृष्णन ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 को संबोधित करते हुए बताया कि भले ही भारत ने एआई क्षेत्र में देर से प्रवेश किया, लेकिन उसने बहुत कम समय में अपनी कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से विकसित किया है। उन्होंने कहा कि जहां शुरुआती लक्ष्य 10,000 जीपीयू (Graphics Processing Units) का था, वहीं अब तक देश में 38,000 जीपीयू की तैनाती की जा चुकी है। यह दर्शाता है कि भारत एआई अनुसंधान, डेटा प्रोसेसिंग और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।

भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में ‘इंडिया एआई मिशन’ के तहत कृत्रिम मेधा को राष्ट्रीय विकास का अहम साधन मानते हुए कई परियोजनाएं शुरू की हैं। इस मिशन का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, परिवहन और शासन जैसे क्षेत्रों में एआई आधारित समाधान तैयार करना है। स्वदेशी एआई मॉडल के तैयार होने के बाद भारत न केवल विदेशी तकनीक पर निर्भरता घटा पाएगा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे अभियानों को नई गति मिलेगी।

स्वदेशी एआई मॉडल का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि भारत का डेटा भारत में ही सुरक्षित रहेगा। आज अधिकांश एआई सेवाएं विदेशी कंपनियों पर निर्भर हैं, जिससे डेटा गोपनीयता और संप्रभुता को लेकर चिंताएं बनी रहती हैं। स्वदेशी एआई के आने से भारतीय नागरिकों और संस्थानों का संवेदनशील डेटा देश की सीमाओं के भीतर ही संरक्षित रहेगा।

दुनिया के अग्रणी देश, अमेरिका, चीन, यूरोप और जापान, पहले से ही एआई में भारी निवेश कर रहा है। ऐसे में भारत का स्वदेशी एआई मॉडल उसे वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। यह मॉडल भारतीय भाषाओं, स्थानीय संदर्भों और विविध सांस्कृतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है, जिससे यह भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए अधिक उपयोगी साबित होगा।

भारत का यह स्वदेशी एआई मॉडल न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम है, बल्कि यह देश को “डेटा-चालित अर्थव्यवस्था” की ओर ले जाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। फरवरी 2026 में जब यह मॉडल ‘इंडिया एआई इंपैक्ट समिट’ में लॉन्च होगा, तो यह भारत की वैज्ञानिक और डिजिटल क्षमताओं की नई कहानी लिखेगा, एक ऐसी कहानी, जिसमें भारत निर्माता भी होगा और नवप्रवर्तक भी।



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top