भविष्य की दिशा में बड़ा कदम - कक्षा तीन से पाठ्यक्रम शामिल होगा “एआई शिक्षा”

Jitendra Kumar Sinha
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देश के शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक परिवर्तन की शुरुआत होने जा रही है। केंद्र सरकार ने 2026-27 के शैक्षणिक सत्र से कक्षा तीन से ही “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” (Artificial Intelligence – AI) को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। यह कदम भारत को न केवल तकनीकी दृष्टि से सशक्त बनाएगा बल्कि आने वाली पीढ़ी को भविष्य की नौकरियों और नवाचारों के लिए तैयार भी करेगा।

शिक्षा मंत्रालय का यह प्रयास “भविष्य के कौशल” को प्रारंभिक स्तर पर ही विकसित करने की दिशा में है। आज की दुनिया में एआई केवल एक तकनीकी विषय नहीं, बल्कि जीवन और कार्य के हर क्षेत्र में आवश्यक उपकरण बन चुका है, चाहे वह चिकित्सा हो, परिवहन, कृषि, बैंकिंग या शिक्षा। इसलिए बच्चों में कम उम्र से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की समझ विकसित करना बेहद जरूरी माना गया है।

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे की रचनात्मक और विश्लेषणात्मक सोच प्राथमिक स्तर पर सबसे अधिक सक्रिय होती है। अगर इसी समय पर उन्हें तकनीक की बुनियादी समझ दी जाए तो वे नई जानकारी को तेजी से आत्मसात कर सकते हैं। एआई की शिक्षा के माध्यम से बच्चों में समस्या समाधान क्षमता, तार्किक सोच और रचनात्मकता का विकास होगा।

स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार के अनुसार, “देशभर में एक करोड़ से अधिक शिक्षकों को एआई शिक्षा के लिए तैयार करना बड़ी चुनौती होगी।” एआई पढ़ाने के लिए शिक्षकों को केवल तकनीकी प्रशिक्षण ही नहीं, बल्कि इस बात की भी समझ होनी चाहिए कि बच्चों को सरल और रचनात्मक तरीके से यह विषय कैसे सिखाया जाए। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम शामिल होंगे।

सीबीएसई (CBSE) ने पहले से ही कक्षा 6 से 8 तक के लिए 15 घंटे का एआई पाठ्यक्रम कौशल विषय के रूप में लागू किया हुआ है। वहीं कक्षा 9 से 12 में इसे वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है। कुछ स्कूलों में पायलट परियोजना के तहत शिक्षक एआई टूल्स का उपयोग कर रहे हैं, जिससे शिक्षण प्रक्रिया अधिक प्रभावी और रोचक बन रही है।

भारत का यह निर्णय वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप है। अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देश पहले ही स्कूल स्तर पर एआई शिक्षा शुरू कर चुका है। भारत में यह कदम न केवल डिजिटल इंडिया की दिशा में बड़ा परिवर्तन होगा, बल्कि देश को वैश्विक एआई प्रतिभा केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा।

कक्षा तीन से एआई को पाठ्यक्रम में शामिल करना भारत के शिक्षा तंत्र में 21वीं सदी की नई क्रांति साबित हो सकता है। यह बच्चों को केवल तकनीक सिखाने का नहीं, बल्कि उन्हें भविष्य के नवप्रवर्तक (innovators) के रूप में तैयार करने का अवसर देगा। यदि शिक्षकों का प्रशिक्षण, सामग्री निर्माण और मूल्यांकन प्रणाली सही ढंग से लागू हुई, तो आने वाले वर्षों में भारत एआई-सक्षम समाज के रूप में विश्व का नेतृत्व कर सकता है।



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