अद्भुत प्राकृतिक चमत्कार है - “बुसा सांप”

Jitendra Kumar Sinha
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प्रकृति में अनेक जीव-जंतु ऐसे हैं जो अपनी विशेषताओं से चकित कर देते हैं। इन्हीं में से एक है ‘बुसा सांप’, जो अपने चमकदार और बदलते रंगों की वजह से पूरी दुनिया में मशहूर है। यह सांप केवल अपनी खूबसूरती के कारण नहीं, बल्कि अपनी विषैली क्षमता और बुद्धिमत्ता के लिए भी जाना जाता है।

“बुसा सांप” का शरीर एक अद्भुत प्राकृतिक चमत्कार है। जब उस पर सूरज की किरणें पड़ती हैं, तो उसका चमकदार शरीर एक साथ हरा, नीला, पीला, नारंगी और बैंगनी रंगों में दमकने लगता है। इन रंगों का यह सम्मिश्रण उसे किसी इंद्रधनुष जैसा रूप देता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इसके शरीर की त्वचा में विशेष प्रकार की इरीडिसेंट स्केल्स (Iridescent Scales) होती हैं, जो प्रकाश को परावर्तित कर विभिन्न रंग उत्पन्न करती हैं। यही कारण है कि “बुसा सांप” को “रेनबो स्नेक” भी कहा जाता है।

यह सांप आकार में अपेक्षाकृत छोटा और लचीला होता है। इसकी लंबाई 45 से 70 सेंटीमीटर तक होती है। इसका शरीर पतला, चिकना और अत्यंत फुर्तीला होता है, जिससे यह आसानी से पेड़ों की शाखाओं के बीच फिसलता हुआ घूम सकता है। “बुसा सांप” की आंखें बड़ी होती हैं और उसकी दृष्टि अत्यंत तीव्र होती है। यह अपने आस-पास की हल्की सी भी हलचल को तुरंत महसूस कर लेता है।

“बुसा सांप” को अत्यंत जहरीले सांपों में गिना जाता है। इसका विष हीमोटॉक्सिक (Hemotoxic) होता है, जो शिकार के खून को जमने नहीं देता और कुछ ही मिनटों में उसे निष्क्रिय कर देता है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि “बुसा सांप” अपने जहर की मात्रा पर पूरा नियंत्रण रखता है। यह उतना ही जहर छोड़ता है जितना शिकार को मारने के लिए आवश्यक होता है। यही उसकी विष नियंत्रण क्षमता उसे अन्य सांपों से अलग बनाती है।

“बुसा सांप” मुख्य रूप से वृक्षवासी (Arboreal) जीव है। यह अक्सर ऊंचे पेड़ों की शाखाओं पर छिपा रहता है, जहां इसका चमकदार रंग पत्तियों और छाया के साथ घुल-मिल जाता है। इस वजह से इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है। यह दिन के समय पेड़ों की दरारों या पत्तियों के नीचे आराम करता है और रात में सक्रिय होकर छोटे पक्षियों, छिपकलियों और मेंढकों का शिकार करता है।

हालांकि बुसा सांप जहरीला होता है, फिर भी यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। यह छोटे जीवों की जनसंख्या को नियंत्रित रखता है, जिससे पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बना रहता है।

“बुसा सांप” प्रकृति की उन अद्भुत कृतियों में से एक है जो यह सिखाता है कि खूबसूरती और खतरा एक साथ भी मौजूद हो सकता है। इसकी रंगीन त्वचा, नियंत्रित विष और वृक्षों पर रहने की आदत इसे एक रहस्यमय और आकर्षक जीव बनाती है। यह सांप न केवल जैव विविधता की धरोहर है, बल्कि यह प्रमाण भी है कि प्रकृति के हर रूप में विज्ञान और सौंदर्य दोनों साथ-साथ चलते हैं।



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