देश के कई राज्यों में बच्चों की संदिग्ध मौतों के बाद एक बार फिर दवा सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। कोल्ड्रिफ कफ सिरप (Coldrif Cough Syrup) पीने से 11 बच्चों की मौत के मामले सामने आने के बाद मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु ने इस सिरप की बिक्री पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं राजस्थान में भी दो बच्चों की मौत के बाद हड़कंप मच गया है, जिसके चलते राज्य सरकार ने ड्रग कंट्रोलर को निलंबित कर दिया है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि बच्चों की मौत के कारणों की उच्चस्तरीय जांच कराई जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री और वितरण को तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश दे दिए गए हैं। इस बीच केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी बताया है कि राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर इस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है और फार्मेसी से इसके सभी बैच हटाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है। सीडीएससीओ की टीमों ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की कुछ दवा निर्माण इकाइयों में जोखिम-आधारित निरीक्षण (Risk-Based Inspection) शुरू किया है। इन निरीक्षणों में कफ सिरप, एंटीबायोटिक और बच्चों की अन्य दवाओं की गुणवत्ता और रासायनिक संरचना की जांच की जा रही है।
राजस्थान के झुंझुनू और सीकर जिलों में दो बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। राज्य सरकार ने मामले की जिम्मेदारी तय करने के लिए राज्य ड्रग कंट्रोलर को तत्काल निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि पूरे राज्य में कोल्ड्रिफ सिरप के सभी सैंपल लेकर जांच प्रयोगशालाओं में भेजे जाएं।
सूत्रों के अनुसार, कोल्ड्रिफ सिरप एक निजी दवा कंपनी द्वारा निर्मित है जिसका उत्पादन कुछ राज्यों में स्थित फैक्ट्रियों में होता है। फिलहाल कंपनी से जवाब तलब किया गया है और उत्पादन इकाइयों को सील करने की प्रक्रिया चल रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे रसायन मिल जाने की आशंका से इन मौतों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
यह कोई पहली बार नहीं है जब भारत में बच्चों की मौत के लिए किसी कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराया गया हो। इससे पहले गैम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून में भी भारतीय दवाओं से बच्चों की मौत के मामले सामने आए थे, जिसके बाद सरकार ने निर्यात मानकों को सख्त किया था।
कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर प्रतिबंध ने देश में दवा गुणवत्ता निगरानी प्रणाली की कमियों को फिर उजागर कर दिया है। यह घटना न केवल राज्य सरकारों बल्कि केंद्र के लिए भी चेतावनी है कि बच्चों की दवाओं की क्वालिटी कंट्रोल और सैंपल टेस्टिंग को और अधिक कठोर बनाया जाए। जनता में भी जागरूकता जरूरी है कि किसी भी दवा का प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न किया जाए।
