किन्नर माया का चुनावी शंखनाद - सिक्का और आशीर्वाद से मांगा वोट

Jitendra Kumar Sinha
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नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी माहौल में एक अलग ही रंग देखने को मिल रहा है। शनिवार को किन्नर समाज की प्रतिनिधि माया रानी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर राजनीति में एक नई उम्मीद का शंखनाद किया है। माया रानी ने कहा है कि अब समय आ गया है जब समाज के हाशिये पर खड़े लोग खुद अपनी आवाज बुलंद करें और अपने हक की लड़ाई खुद लड़ें।

नामांकन के बाद जब माया रानी जनता के बीच पहुंचीं तो उनका अंदाज बाकी नेताओं से बिल्कुल अलग था। उन्होंने न तो बड़े-बड़े मंचों पर भाषण दिया और न ही किसी बाहरी दिखावे का सहारा लिया। माया रानी ने परंपरागत और सांकेतिक रूप से लोगों के बीच सिक्का और अक्षत (चावल) बांटकर वोट मांगा। उन्होंने कहा, “सिक्का समृद्धि का प्रतीक है और अक्षत पवित्रता का। मैं जनता की सेवा के लिए आई हूं, सत्ता के लिए नहीं। अगर आप मेरा आशीर्वाद स्वीकार करते हैं, तो मुझे अपना एक वोट दें।”

उनके इस अनोखे प्रचार ने इलाके में चर्चा का विषय बना दिया। जब वह मोहल्लों और गलियों से गुजरीं, तो लोग उन्हें देखने और उनसे सिक्का लेने के लिए उमड़ पड़े। महिलाओं ने उनके कदमों में अक्षत रखकर आशीर्वाद लिया, वहीं युवाओं ने उत्साहपूर्वक उनका स्वागत किया। माया रानी ने कहा कि वह समाज के हर वर्ग की आवाज बनना चाहती हैं, चाहे वह गरीब हो, महिला हो या किन्नर समुदाय से जुड़ा कोई व्यक्ति।

माया रानी ने यह भी कहा कि राजनीति अब केवल वादों और भाषणों की नहीं है, बल्कि सेवा और सच्चाई की होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि किन्नर समाज आज भी मुख्यधारा से दूर है। “हम लोग वर्षों से तालियां बजाकर दूसरों को आशीर्वाद देते आए हैं, लेकिन अब वक्त है कि हमें भी समाज का आशीर्वाद मिले ताकि हम बदलाव की राह खोल सकें,” उन्होंने भावुक स्वर में कहा।

माया रानी का चुनावी अभियान एक प्रकार से सामाजिक जागरण का संदेश भी दे रहा है। उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य केवल जीतना नहीं है, बल्कि समाज में समानता और सम्मान की भावना को बढ़ाना है। उनके समर्थकों का कहना है कि माया रानी जैसे उम्मीदवार राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं, क्योंकि वे समाज के उस तबके से आती हैं जो हमेशा से उपेक्षित रहा है।

जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, माया रानी की लोकप्रियता भी बढ़ती दिख रही है। उनका सिक्का और आशीर्वाद अब सिर्फ प्रतीक नहीं, बल्कि उम्मीद की एक नई ध्वनि बन चुका है, ऐसी ध्वनि जो बताती है कि अब बदलाव की बारी है, और इस बार आवाज उन लोगों की होगी जो अब तक खामोश थे।



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