फारस की खाड़ी का इतिहास हजारों वर्षों से व्यापार, संस्कृति और सभ्यता का केंद्र रहा है। इसी तट पर स्थित है सिराफ बंदरगाह, जो आज ईरान के बुशेहर प्रांत में "ताहेरी गांव" के रूप में जाना जाता है। यह बंदरगाह न केवल एक व्यापारिक केंद्र था, बल्कि विभिन्न सभ्यताओं, धर्मों और संस्कृतियों के मेल का भी साक्षी रहा है।
सिराफ बंदरगाह की स्थापना पार्थियन साम्राज्य (ईसा पूर्व 3री शताब्दी से ईसा पश्चात 3री शताब्दी) के दौरान हुई थी। परंतु इसका वास्तविक उत्कर्ष सासानी साम्राज्य (224-651 ईस्वी) में हुआ। उस समय यह फारस की खाड़ी के सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाहों में गिना जाता था। सासानी शासकों ने इस नगर को व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया, जहाँ से भारत, चीन, पूर्वी अफ्रीका और अरब देशों तक व्यापार होता था।
सिराफ बंदरगाह अपने समय का विश्वव्यापी व्यापारिक केंद्र था। यहाँ से रेशम, मसाले, मोती, हाथीदांत और कीमती धातुएँ आयात-निर्यात की जाती थी। समुद्री मार्गों के कारण यह एशिया और अफ्रीका को जोड़ने वाला एक प्रमुख केंद्र बन गया। अरब और फारसी व्यापारी इस बंदरगाह के माध्यम से चीन और भारत तक पहुँचते थे। सिराफ की समृद्धि का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहाँ शानदार मकान, मस्जिदें, भव्य बाजार और जहाज बनाने की कार्यशालाएँ मौजूद थीं।
आज सिराफ के उत्खनन से कई महत्वपूर्ण अवशेष सामने आए हैं। इनमें प्राचीन मकानों के खंडहर, सुंदर मस्जिदों के अवशेष, सिरेमिक और काँच की कार्यशालाएँ तथा डूबे हुए जहाजों के अवशेष शामिल हैं। यहाँ के मकान पत्थर और मिट्टी की ईंटों से बने थे, जिनकी संरचना उस काल की उन्नत वास्तुकला को दर्शाती है। यह बंदरगाह इस्लामी काल में भी सक्रिय रहा और यहाँ की मस्जिदें शुरुआती इस्लामी स्थापत्य कला का उदाहरण मानी जाती हैं।
सिराफ बंदरगाह का अंत अचानक और विनाशकारी था। वर्ष 970 ईस्वी के आसपास यहाँ एक भयंकर भूकंप आया, जिसके बाद सुनामी ने पूरे बंदरगाह को तबाह कर दिया। कई घर, बाजार और जहाज समुद्र की लहरों में समा गए। इस आपदा ने सिराफ की समृद्धि को समाप्त कर दिया और धीरे-धीरे यह नगर खंडहर में बदल गया।
आज सिराफ बंदरगाह के अवशेष "ताहेरी गांव" के रूप में जाने जाते हैं। यह स्थान पुरातत्वविदों और इतिहासकारों के लिए अनुसंधान का केंद्र है। समुद्र तट पर बिखरे खंडहर आज भी इस नगर की पूर्व वैभवशाली स्थिति का स्मरण कराते हैं। ईरान सरकार ने इसे एक संरक्षित पुरातात्विक स्थल घोषित किया है और यहाँ खुदाई का कार्य निरंतर जारी है।
सिराफ बंदरगाह केवल एक प्राचीन व्यापारिक नगर नहीं था, बल्कि यह विश्व की विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने वाला सेतु भी था। इसका इतिहास हमें यह सिखाता है कि सभ्यताएँ चाहे कितनी भी समृद्ध क्यों न हों, प्रकृति की मार के सामने असहाय हो जाती हैं। आज ताहेरी गांव, अपने भीतर दबी इस विरासत के साथ, फारस की खाड़ी के सुनहरे अतीत का जीवंत प्रमाण है।
