हाईकोर्ट में अब एससी-एसटी कर्मियों को मिलेगा आरक्षण

Jitendra Kumar Sinha
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पटना हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए न्यायपालिका के गैर-न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति तथा पदोन्नति में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग को आरक्षण का लाभ देने की घोषणा की है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी के आदेश से हाईकोर्ट के महानिबंधक ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।

जारी अधिसूचना के अनुसार, हाईकोर्ट में गैर-न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों की बहाली एवं पदोन्नति में एससी वर्ग के लिए 15% और एसटी वर्ग के लिए 7.5% आरक्षण लागू किया गया है। यह व्यवस्था न केवल नयी नियुक्तियों पर बल्कि भविष्य में होने वाली प्रोन्नतियों पर भी लागू होगी। इस कदम से न्यायपालिका के प्रशासनिक ढांचे में सामाजिक विविधता को सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस पहल मानी जा रही है।

हाईकोर्ट का यह निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16(4) की भावना को सशक्त करता है, जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को रोजगार में समान अवसर प्रदान करने का अधिकार देता है। अब तक न्यायपालिका के गैर-न्यायिक विभागों में आरक्षण की व्यवस्था स्पष्ट रूप से लागू नहीं थी, जिससे वंचित वर्गों की भागीदारी सीमित रही। यह अधिसूचना इस असंतुलन को दूर करने का प्रयास है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा बल्कि न्यायपालिका के भीतर प्रतिनिधित्व का दायरा भी विस्तृत करेगा। प्रशासनिक सेवाओं में विविधता आने से न केवल निर्णय प्रक्रिया में संवेदनशीलता बढ़ेगी बल्कि समाज के सभी वर्गों का भरोसा भी न्याय व्यवस्था पर और मजबूत होगा।

राज्य के विधि विभाग और कई सामाजिक संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि हाईकोर्ट ने सामाजिक समावेशन की दिशा में अनुकरणीय कदम उठाया है। इससे न्यायपालिका में समान अवसर की परंपरा को बल मिलेगा और एससी-एसटी वर्गों को अपने अधिकारों के प्रति और अधिक जागरूकता मिलेगी।

हाईकोर्ट का यह कदम अन्य न्यायिक संस्थानों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यवस्था अगर प्रभावी ढंग से लागू की गई, तो आने वाले वर्षों में न्यायपालिका के प्रशासनिक तंत्र में समान प्रतिनिधित्व का एक नया युग शुरू होगा। इस प्रकार, हाईकोर्ट का यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक आदेश नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में संविधान की भावना को साकार करने वाला कदम है, जो आने वाले समय में एक सकारात्मक बदलाव की नींव रखेगा।



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