प्रकृति ने जीव-जगत को अनगिनत रहस्यों से सजाया है। हर जीव की अपनी विशेषता होती है, लेकिन कुछ जीव ऐसे भी हैं जिनकी जीवनशैली और क्षमताएँ इंसानों को हैरत में डाल देती हैं। ऐसा ही एक अद्भुत जीव है “ओल्म” (Olm), जिसे वैज्ञानिक रूप से Proteus anguinus कहा जाता है। यह जीव यूरोप की भूमिगत गुफाओं और झीलों में पाया जाता है और अपनी रहस्यमयी जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध है।
“ओल्म” असल में सलामैडर की एक प्रजाति है। यह ठंडे, गहरे और अंधेरे वातावरण में रहने का आदी है। स्लोवेनिया, क्रोएशिया, इटली और बोस्निया-हर्जेगोविना की डायनारिक आल्प्स की चूना-पत्थर की गुफाओं में इसका निवास स्थान है। गुफाओं में सूरज की रोशनी न पहुँचने के कारण इसकी आँखें धीरे-धीरे निष्क्रिय हो चुकी हैं। यही कारण है कि यह लगभग अंधा होता है।
हालाँकि “ओल्म” की दृष्टि कमजोर है, लेकिन उसकी सूंघने और सुनने की क्षमता अद्भुत रूप से विकसित है। यह अपने शिकार और आसपास के माहौल को बिना देखे पहचान लेता है। इसके शरीर पर मौजूद विशेष संवेदनशील अंग पानी की हल्की-सी हलचल और रासायनिक संकेतों को महसूस कर लेता है।
“ओल्म” का शरीर लंबा और सांप जैसा दिखाई देता है। इसकी त्वचा गुलाबी-सफेद और पारदर्शी होता है, जिससे इसकी रक्त वाहिकाएँ स्पष्ट झलकती हैं। यही कारण है कि लोग इसे अक्सर मानव मछली (Human Fish) कहते हैं। गुफाओं में मिलने वाला यह जीव रहस्यमयी और कुछ हद तक डरावना भी लगता है, लेकिन यह पूरी तरह निर्दोष और शांत स्वभाव का होता है।
“ओल्म” का जीवन बेहद धीमी गति से चलता है। यह जीव महीनों तक बिना भोजन के रह सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि जरूरत पड़े तो यह 10 साल तक बिना खाए जीवित रह सकता है। इतना ही नहीं, कभी-कभी यह सात साल तक एक ही जगह स्थिर रह जाता है। यह विशेषता इसे अन्य छोटे जीवों से बिल्कुल अलग बनाता है।
जहाँ अधिकांश छोटे जीव केवल कुछ वर्षों तक जी पाता है, वहीं “ओल्म” की औसत उम्र 70 से 100 वर्ष तक माना जाता है। इसकी धीमी चयापचय दर (Metabolism) और ऊर्जा को बचाकर खर्च करने की क्षमता इसकी लंबी उम्र का प्रमुख कारण है। वैज्ञानिकों के लिए यह अध्ययन का बड़ा विषय है कि इतना छोटा जीव इतनी लंबी आयु कैसे प्राप्त करता है।
आज गुफाओं और झीलों का पर्यावरण प्रदूषण और मानव हस्तक्षेप से प्रभावित हो रहा है। इसके कारण “ओल्म” जैसे जीव संकट में पड़ सकते हैं। चूँकि यह केवल विशेष परिस्थितियों में ही जीवित रह सकता है, इसलिए इसका संरक्षण बेहद आवश्यक है। स्लोवेनिया और आसपास के देशों में इसे संरक्षित जीवों की सूची में शामिल किया गया है।
“ओल्म” प्रकृति का एक ऐसा अनोखा उपहार है जो यह सिखाता है कि जीवन केवल देखने या तेजी से जीने का नाम नहीं है। अंधेरे में, शांति और धैर्य के साथ भी जीवन जिया जा सकता है। अपनी रहस्यमयी क्षमताओं, लंबी उम्र और अनोखी जीवनशैली के कारण यह जीव वैज्ञानिकों और प्रकृति प्रेमियों दोनों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
