बिहार विधानसभा चुनाव 2025 - दूसरा चरण मतदान 11 नवंबर

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार में विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण 11 नवंबर को संपन्न होने जा रहा है। इस चरण में कुल 122 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, जो मुख्य रूप से पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, कैमूर, रोहतास, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई जिलों को कवर करता है। चुनाव आयोग ने सुरक्षा और सुचारु मतदान सुनिश्चित करने के लिए व्यापक तैयारी की है।

पश्चिम चंपारण के 9 विधानसभा क्षेत्र- वाल्मीकिनगर, रामनगर (एससी), नरकटियागंज, बगहा, लौरिया, नौतन, चनपटिया, बेतिया, सिकटा में इस बार मतदान को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। यहां किसान वर्ग और सीमावर्ती क्षेत्रों के मतदाता प्रमुख हैं। वाल्मीकिनगर और नरकटियागंज में बाढ़ नियंत्रण और सड़क निर्माण पर जनता की निगाहें हैं।

रामनगर (एससी) में सामाजिक न्याय और आरक्षण को लेकर मतदाता बेहद संवेदनशील हैं। इस बार युवा मतदाता पहले से अधिक सक्रिय हैं और सोशल मीडिया के जरिए अपने सवाल और मांगें उठा रहे हैं। बेतिया में रोजगार और स्थानीय विकास सबसे बड़ा मुद्दा है, जबकि चनपटिया और नौतन में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लोगों में अपेक्षाएं हैं।

स्थानीय सूत्र बताते हैं कि एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।

पूर्वी चंपारण के 12 विधानसभा क्षेत्र- रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, हरसिद्धि (एससी), गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन, मोतिहारी, चिरैया, ढांका में चुनावी माहौल बेहद गर्म है। रक्सौल में सीमा व्यापार और आव्रजन के मुद्दे प्रमुख हैं। सुगौली और नरकटिया में सड़क और पुल निर्माण, हरसिद्धि (एससी) में शिक्षा और रोजगार पर जोर है।

मोतीहारी और चिरैया में मतदाता कृषि और सिंचाई योजनाओं से प्रभावित हैं। केसरिया और कल्याणपुर में स्थानीय नेतृत्व की लोकप्रियता और प्रत्याशियों की व्यक्तिगत छवि निर्णायक साबित हो सकता है।

स्थानीय युवाओं की सक्रियता और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी इस क्षेत्र के चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है।

एक विधानसभा क्षेत्र- शिवहर में चुनावी लड़ाई अधिक व्यक्तिगत मुद्दों और स्थानीय विकास योजनाओं के इर्द-गिर्द घूम रही है। सड़क, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग प्रमुख है। मतदाता अपेक्षाओं के प्रति सजग हैं और यह चुनावी मुकाबला किसी भी परिणाम की संभावना को खुला छोड़ता है।

सीतामढ़ी के 8 विधानसभा क्षेत्र- रीगा, बथनाहा (एससी), परिहार, सुरसंड, बाजपट्टी, सीतामढ़ी, रुन्नीसैदपुर, बेलसंड में बाढ़ और सड़क विकास सबसे बड़ा मुद्दा है। रीगा और बथनाहा (एससी) में सामाजिक न्याय और आरक्षण को लेकर मतदाता बेहद सजग हैं।

सुरसंड और बाजपट्टी में युवा बेरोजगारी और शिक्षा प्रमुख चिंता का विषय है। मतदाता इस बार अपने वोट का प्रभावी इस्तेमाल करने के लिए अधिक जागरूक दिखाई दे रहे हैं।

मधुबनी के 10 विधानसभा क्षेत्र- हरलाखी, बेनीपट्टी, खजौली, बाबूबरही, मधुबनी, राजनगर (एससी), झंझारपुर, फुलपरास, लौकहा में मतदाता सांस्कृतिक और आर्थिक दोनों मुद्दों पर संवेदनशील हैं। मधुबनी कला और हस्तशिल्प क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है।

बेनीपट्टी और खजौली में सड़क और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को लेकर मतदाता सरकार से अपेक्षाएँ जताते रहे हैं। राजनगर (एससी) में सामाजिक न्याय और आरक्षण प्रमुख चुनावी मुद्दा है।

सुपौल के 5 विधानसभा क्षेत्र- निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज (एससी), छातापुर में बाढ़ नियंत्रण, सड़क और शिक्षा मुख्य मुद्दे हैं। निर्मली और पिपरा में मतदाता बिजली और स्वास्थ्य सुविधाओं पर खास ध्यान दे रहे हैं। त्रिवेणीगंज (एससी) में दलगत राजनीति के साथ-साथ सामाजिक न्याय भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

अररिया के 6 विधानसभा क्षेत्र- नरपतगंज, रानीगंज (एससी), फारबिसगंज, अररिया, जोकीहाट, सिकटी में मतदाता विकास, रोजगार और कृषि योजनाओं से प्रभावित हैं। 

रानीगंज (एससी) में चुनावी लड़ाई सामाजिक न्याय और स्थानीय नेता की लोकप्रियता के इर्द-गिर्द केंद्रित है। नरपतगंज और अररिया में सड़क और बुनियादी सुविधाओं का मुद्दा प्रमुख है।

किशनगंज के 4 विधानसभा क्षेत्र-  बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधमन में मतदाता शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य पर संवेदनशील हैं। 

बहादुरगंज और ठाकुरगंज में युवा मतदाता और महिलाएँ ज्यादा सक्रिय हैं। चुनावी रुझान स्थानीय मुद्दों और प्रत्याशियों की व्यक्तिगत छवि पर निर्भर करेगा।

पूर्णिया के 7 विधानसभा क्षेत्र- अमौर, बायसी, कसबा, बनमनखी (एससी), रूपौली, धमदाहा, पूर्णिया में मतदाता कृषि, सिंचाई और बुनियादी सुविधाओं पर केंद्रित हैं। 

बनमनखी (एससी) में सामाजिक न्याय का मुद्दा प्रमुख है। अमौर और बायसी में स्थानीय विकास और सड़क निर्माण का जोर है।

कटिहार के 7 विधानसभा क्षेत्र- कटिहार, कदवां, बलिरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी (एसटी), बरारी, कोदा (एससी) में मतदाता शिक्षा, स्वास्थ्य और सिंचाई योजनाओं पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। 

मनिहारी (एसटी) और कोदा (एससी) में आरक्षण और सामाजिक न्याय का मुद्दा निर्णायक हो सकता है।

भागलपुर के 7 विधानसभा क्षेत्र-  बिहपुर, गोपालपुर, पौरपैती (एससी), कहलगांव, भागलपुर, सुल्तानगंज, नाथनगर में मतदाता बुनियादी सुविधाओं और रोजगार पर केंद्रित हैं। 

बिहपुर और गोपालपुर में युवा मतदाता और महिलाएँ अधिक सक्रिय हैं। पौरपैती (एससी) में सामाजिक न्याय और दलगत समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

बांका के 5 विधानसभा क्षेत्र- अमरपुर, धोरैया (एससी), बांका, कटोरिया (एसटी), बेलहर में मतदाता शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं की मांग पर केंद्रित हैं। 

कटोरिया (एसटी) और धोरैया (एससी) में सामाजिक न्याय और दलगत समीकरण महत्वपूर्ण होंगे।

कैमूर के लिए 4 विधानसभा क्षेत्र: रामगढ़, मोहनिया (एससी), भभुआ, चैनपुर में सड़क, बिजली और शिक्षा प्रमुख मुद्दे हैं। मोहनिया (एससी) में सामाजिक न्याय का महत्व अधिक है। 

भभुआ और चैनपुर में स्थानीय विकास और रोजगार मुख्य चुनावी मुद्दा हैं।

रोहतास के  7 विधानसभा क्षेत्र- चेनारी (एससी), सासाराम, करगहर, दिनारा, नोखा, डेहरी, काराकाट में मतदाता सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर संवेदनशील हैं। 

चेनारी (एससी) में दलगत और सामाजिक न्याय का मुद्दा निर्णायक हो सकता है। सासाराम में युवा मतदाता चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

अरवल के 2 विधानसभा क्षेत्र- अरवल, कुर्था में मतदाता शिक्षा, स्वास्थ्य और स्थानीय विकास योजनाओं पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। कुर्था में सड़क और कृषि योजनाओं का मुद्दा महत्वपूर्ण है।

जहानाबाद के 3 विधानसभा क्षेत्र- जहानाबाद, घोसी, मखदुमपुर (एससी) में मतदाता रोजगार, सड़क और शिक्षा पर केंद्रित हैं। मखदुमपुर (एससी) में सामाजिक न्याय और आरक्षण महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा होगा।

औरंगाबाद के  6 विधानसभा क्षेत्र- गोह, ओबरा, नवीनगर, कुटुंबा (एससी), औरंगाबाद, रफीगंज में मतदाता सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। कुटुंबा (एससी) में सामाजिक न्याय का मुद्दा चुनाव में निर्णायक हो सकता है।

गया के 10 विधानसभा क्षेत्र- गुरुआ, शेरघाटी, इमामगंज (एससी), बाराचट्टी (एससी), बोधगया (एससी), गया टाउन, टेकारी, बेलागंज, अतरी, वजीरगंज में मतदाता शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी सुविधाओं और पर्यटन विकास (बोधगया) पर ध्यान दे रहे हैं। इमामगंज और बाराचट्टी (एससी) में सामाजिक न्याय का मुद्दा अहम है।

नवादा के 5 विधानसभा क्षेत्र- रजौली (एससी), हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर, वारिसलीगंज में मतदाता सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ बेरोजगारी और युवा रोजगार को लेकर सजग हैं। रजौली (एससी) में दलगत और सामाजिक न्याय के मुद्दे निर्णायक होंगे।

जमुई के 4 विधानसभा क्षेत्र-  सिकंदरा (एससी), जमुई, झाझा, चकाई में मतदाता शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और कृषि विकास योजनाओं पर ध्यान दे रहे हैं। सिकंदरा (एससी) में सामाजिक न्याय और दलगत समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

चुनाव आयोग ने सभी जिलों में ईवीएम और वीवीपैट व्यवस्था को सुनिश्चित किया है। पुलिस और सुरक्षा बलों की पर्याप्त तैनाती की गई है। विशेष रूप से सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

मतदाता जागरूकता के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। महिलाओं और युवा मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा चरण मतदाता दृष्टिकोण, स्थानीय मुद्दों और सामाजिक न्याय के मुद्दों के इर्द-गिर्द केंद्रित है। हर जिला और विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय विकास, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, और बुनियादी सुविधाओं की मांग मतदाता के मन में प्रमुख है। साथ ही, संवेदनशील विधानसभा क्षेत्रों में सामाजिक न्याय और आरक्षण का मुद्दा चुनाव के नतीजों को प्रभावित करेगा। उम्मीदवारों की व्यक्तिगत छवि और दलगत समर्थन भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे। मतदाता इस बार अधिक जागरूक और सक्रिय दिखाई दे रहे हैं, जो बिहार की राजनीति में नए बदलाव का संकेत है।



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