पर्वतों में गढ़ी पत्थर की नगरी – “अल हजराह”

Jitendra Kumar Sinha
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यमन के हराज पर्वतों की ऊँचाइयों पर बसा “अल-हजराह” दुनिया के उन अनोखे गाँवों में से है, जो अपने स्थापत्य और इतिहास के लिए अद्वितीय स्थान रखता हैं। यह गाँव मानो प्रकृति की गोद में मानव धैर्य और कौशल का प्रतीक बनकर खड़ा है। पत्थरों से गढ़े बहुमंजिला घर, खड़ी चट्टानों पर टिके हुए, इस बात का सबूत हैं कि इंसान ने अपने अस्तित्व और सुरक्षा के लिए किस तरह परिस्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित किया है।


इतिहासकारों के अनुसार, “अल-हजराह” की स्थापना 12वीं शताब्दी ईस्वी में सुलैहिद वंश के शासनकाल के दौरान हुई थी। यह समय यमन के राजनीतिक और सांस्कृतिक रूपांतरण का युग था। उस दौर में पर्वतीय इलाकों में बस्तियाँ बसाना केवल रहने का साधन नहीं था, बल्कि यह बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा का उपाय भी था। ऊँचे पर्वतों पर बसे ऐसे गाँव दुश्मनों के लिए लगभग अभेद्य किला की तरह था।


“अल-हजराह” के घर पत्थरों से बने हुए हैं और यह बहुमंजिला इमारतें देखने में किसी दुर्ग से कम नहीं लगता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह इमारत चट्टानों से ऐसे जुड़ी हैं कि लगता है जैसे वे प्राकृतिक रूप से वहीं उत्पन्न हुई हों। घरों की दीवारें मोटी हैं, जिनसे गर्मी और ठंडक दोनों से बचाव होता है। खिड़कियों पर पारंपरिक नक्काशीदार झरोखे, और दीवारों पर ज्यामितीय आकृतियाँ यमनी कला का सुंदर उदाहरण हैं।


गाँव की बसावट इस तरह की गई है कि हर घर पर्वत की संरचना का हिस्सा लगे। ऊपर से देखने पर यह बस्ती किसी मुकुट जैसा प्रतीत होता है, जिसने पर्वत की चोटियों को सजाया हो। यहाँ रहने वाले लोग खेती-बाड़ी और पशुपालन करते हैं। पर्वतों की ढलानों पर सीढ़ीदार खेत बनाए गए हैं, जो इस कठोर भूगोल में भी जीवन को संभव बनाता है।


“अल-हजराह” ने सदियों से धूप, तूफान और राजनीतिक संघर्षों का सामना किया है। यमन लंबे समय से गृहयुद्ध और सामाजिक अस्थिरता का शिकार रहा है, लेकिन इसके बावजूद यह गाँव अब भी आबाद है। यहाँ की इमारतें केवल पत्थरों का ढेर नहीं हैं, बल्कि यह उन पीढ़ियों की कहानियाँ समेटे हुए है जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपने जीवन और संस्कृति को बचाए रखा।


“अल-हजराह” न केवल एक गाँव है, बल्कि यह इतिहास और पर्यटन का केंद्र भी बन चुका है। जो यात्री यहाँ पहुँचते हैं, वे पत्थर और मनुष्य की साझेदारी से बने इस जीवंत स्मारक को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। यह गाँव यह भी सिखाता है कि मनुष्य जब प्रकृति के साथ मिलकर जीता है, तो कठिन से कठिन परिस्थितियाँ भी जीवन के नए अवसर प्रदान करती हैं।


“अल-हजराह” केवल पत्थरों से बना गाँव नहीं है, बल्कि यह मानव धैर्य, अनुकूलन और जीवटता की अमर गाथा है। हराज पर्वतों की ऊँचाइयों पर बसा यह गाँव इस बात का प्रमाण है कि सभ्यता केवल मैदानी इलाकों में नहीं है, बल्कि कठोर और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों पर भी पनप सकती है।


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