बिहार में इस समय हथिया नक्षत्र के दौरान मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचा दी है। पिछले दो दिनों में राज्य में सामान्य से 929 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इन दो दिनों में लगभग 92.9 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्यतः इस अवधि में करीब 10 मिमी ही होती है। अचानक हुई इस भारी वर्षा ने बिहार के कई जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।
उत्तर बिहार के अधिकांश जिलों—सीतामढ़ी, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, दरभंगा, मधुबनी और सहरसा—में लगातार हो रही बारिश से कोसी, बागमती, कमला बलान और महानंदा जैसी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है। कई इलाकों में नदियाँ उफान पर हैं, जिससे निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं। खेतों में पानी भर जाने से फसलें चौपट हो गई हैं और किसानों के चेहरे पर चिंता साफ झलक रही है।
कोसी बैराज पर पानी का दबाव इतना बढ़ गया कि अधिकारियों को मजबूरन विरपुर बराज के सभी 56 फाटक खोलने पड़े। इससे नेपाल सीमा से सटे इलाकों और सीमांचल के निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। कई सड़कों पर पानी भर गया है, जिसके कारण यातायात बुरी तरह प्रभावित है।
किसानों को इस बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। धान की फसल कटाई के लिए तैयार थी, लेकिन लगातार बारिश और पानी भर जाने से खेतों में फसलें सड़ने लगी हैं। तेज हवा और बरसात से धान के पौधे झुक गए हैं। सब्जियों, आलू और मोटे अनाज की खेती पर भी इसका बुरा असर पड़ा है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति रबी फसलों की बुवाई में देरी का कारण बन सकती है।
मौसम विज्ञान केंद्र ने चेतावनी दी है कि अगले 48 घंटों तक बिहार के अधिकांश हिस्सों में बादल छाए रहेंगे और तेज हवाओं के साथ मध्यम से भारी बारिश जारी रह सकती है। कुछ इलाकों में हवाओं की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचने की संभावना है।
फिलहाल, प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है, लेकिन लगातार बारिश ने हालात को और जटिल बना दिया है। कई जगहों पर बिजली गुल है, ग्रामीण इलाकों में सड़क संपर्क टूट गया है, और लोग अपने घरों में फंसे हुए हैं। बिहार के लोगों के लिए यह हथिया का दौर अभिशाप बन गया है, जिसने दो ही दिनों में सामान्य जीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है।
