दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को आखिरकार केंद्र सरकार ने टाइप-VII श्रेणी का सरकारी बंगला आवंटित कर दिया है। यह आवंटन ऐसे समय में हुआ है जब उन्हें पद छोड़े एक वर्ष से अधिक हो चुका है और इस मामले को लेकर अदालत में भी सुनवाई चल रही थी। बताया जा रहा है कि यह फैसला केंद्र की आवास आवंटन समिति ने दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर लिया।
दरअसल, अरविन्द केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अपने आधिकारिक आवास 6, फ्लैगस्टाफ रोड को खाली कर दिया था। इस घर को लेकर बाद में कई विवाद भी सामने आए — खासकर उस घर की मरम्मत और सजावट पर हुए भारी खर्च को लेकर, जिसे विपक्ष ने “शीश महल” कहा। उसके बाद से केजरीवाल को नए सरकारी आवास का आवंटन नहीं किया गया था, जबकि वे केंद्र सरकार के अधीनस्थ सेवाओं में पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में आवास के पात्र थे।
काफी समय तक केंद्र से कोई निर्णय न मिलने के बाद केजरीवाल ने अदालत का रुख किया था। उन्होंने अपने वकील के माध्यम से यह दलील दी कि उन्हें उस श्रेणी का आवास दिया जाना चाहिए, जो उनके पूर्व पद के अनुरूप हो — यानी टाइप-VII या टाइप-VIII। इस पर केंद्र ने अदालत में कहा कि उचित श्रेणी का आवास जल्द ही उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा। अदालत ने भी केंद्र को इस मामले में शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
अब जब टाइप-VII श्रेणी का सरकारी बंगला उन्हें आवंटित कर दिया गया है, तो यह विवाद कुछ हद तक शांत हो गया है। दिल्ली सरकार के अधिकारियों के अनुसार, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित पुराने आवास का भविष्य तय करने को लेकर भी चर्चा चल रही है। राज्य सरकार ने केंद्र को चार विकल्प सुझाए हैं — उस बंगले को राज्य अतिथि गृह में बदलना, उपराज्यपाल का आधिकारिक आवास बनाना, केंद्र से आवासों का आदान-प्रदान करना या फिर नीलामी के माध्यम से उसका उपयोग तय करना।
राजनीतिक रूप से यह कदम भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि अरविन्द केजरीवाल पिछले कुछ समय से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय नहीं थे और अब उनके फिर से सक्रिय होने की संभावनाओं पर चर्चा तेज हो गई है। केंद्र का यह आवास आवंटन कहीं-न-कहीं राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है, खासकर दिल्ली बनाम केंद्र के टकराव वाले परिदृश्यों में।
