बिहार में इस बार मतदाताओं को मतदाता पर्ची (वोटर स्लिप) मतदान से चार दिन पहले दे दी जाएगी, ताकि वे समय रहते अपने बूथ पर पहुँच सकें। चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि इस चुनाव में किसी भी बूथ को नहीं बदला जाएगा।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने बताया कि चुनाव की घोषणा होते ही सभी प्रवर्तन एजेंसियां सक्रिय हो जाएंगी और चुनाव संबंधी कार्रवाइयाँ शुरू हो जाएँगी। उन्होंने कहा कि आचार संहिता लागू हो चुकी है, और सभी सरकारी, सार्वजनिक व निजी भवनों से राजनीतिक दलों के पोस्टर-बैनर हटाने के निर्देश दे दिए गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि पिछले चुनावों में कुछ बूथों के स्थान बदले जाते थे — लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। 32 विधानसभा क्षेत्रों को “अधिक खर्च वाले” के रूप में चिन्हित किया गया है, जहाँ आयकर और अन्य एजेंसियों की निगरानी बढ़ाई जाएगी क्योंकि पिछले चुनावों में इन क्षेत्रों में नकदी बरामद की गई थी।
नक्सल प्रभावित छह जिलों में लगभग 2100 बूथों को संवेदनशील घोषित किया गया है, हालांकि पिछली बार वहाँ बड़ी घटना नहीं हुई।
मतदाताओं से अपील की गई है कि वे उत्साहपूर्वक मतदान में भाग लें और दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करें। EVM की जांच, चुनाव कर्मियों का प्रशिक्षण, बूथों पर सुविधाएँ जैसे रैंप और व्हीलचेयर तथा दिव्यांगों के लिए घर-आधारित मतदान व्यवस्था आदि तैयार किया जा रहा है।
पूरे राज्य में कुल 90,712 मतदान केंद्र होंगे, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र में 76,801 और शहरी क्षेत्र में 13,712 केंद्र शामिल हैं। प्रति केंद्र औसतन 818 मतदाता होंगे। महिलाएँ, युवा और दिव्यांग मतदाताओं के लिए कुछ बूथ संचालित होंगें।
