बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। रविवार को पटना में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में आयोग की टीम ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में चुनाव की सभी तैयारियों, सुरक्षा व्यवस्था, मतदाता सूची, मतदान केंद्रों की स्थिति और चरणबद्ध मतदान की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने सुझाव आयोग के सामने रखे। अधिकांश दलों ने आयोग से आग्रह किया कि चुनाव छठ पूजा के तुरंत बाद कराए जाएं, ताकि प्रवासी मतदाताओं को वोट डालने का मौका मिल सके। साथ ही, कई दलों ने यह भी सुझाव दिया कि चुनाव एक ही चरण या अधिकतम दो चरणों में संपन्न कराए जाएं, ताकि मतदाताओं को सुविधा हो और प्रशासनिक दबाव कम पड़े।
हालांकि, कुछ दलों ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए बहु-चरणीय चुनाव कराने का समर्थन किया। इस पर आयोग ने कहा कि सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है और अंतिम निर्णय जल्द ही घोषित किया जाएगा।
बैठक के दौरान एक बड़ा मुद्दा मतदाता सूची संशोधन को लेकर उठा। आयोग द्वारा की गई विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया में करीब 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की बात सामने आई है। विपक्षी दलों ने इस पर गंभीर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि असली मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया और आयोग से पारदर्शी जांच की मांग की।
सुरक्षा के मोर्चे पर आयोग ने स्पष्ट किया कि बिहार में होने वाले चुनावों में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या हिंसा को रोकने के लिए सख्त इंतजाम किए गए हैं। लगभग 470 केंद्रीय पर्यवेक्षकों को पूरे राज्य में तैनात किया जाएगा। ये अधिकारी मतदान केंद्रों और चुनावी गतिविधियों की निगरानी करेंगे तथा किसी भी अनियमितता की रिपोर्ट सीधे आयोग को देंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा अगले सप्ताह तक कर दी जाएगी। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है, इसलिए नई विधानसभा उसी तारीख तक गठित कर ली जाएगी।
बैठक के बाद बिहार का राजनीतिक माहौल और गरमा गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने-अपने चुनावी रणनीतियों को तेज कर दिया है। जनसभाओं, पोस्टर अभियानों और सोशल मीडिया प्रचार की शुरुआत हो चुकी है। अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग की आगामी घोषणा पर टिकी हैं, जिससे राज्य की सियासी तस्वीर साफ हो जाएगी।
