पाकिस्तान सरकार ने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को “आतंकवादी” घोषित कर दुनिया भर में हलचल मचा दी है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब सलमान खान ने सऊदी अरब में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कहा कि “यहां काम करने वाले लोगों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बलूचिस्तान के लोग भी शामिल हैं।” इस बयान को पाकिस्तान सरकार ने “देश विरोधी” बताते हुए गंभीर आपत्ति जताई और इसे बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग दिखाने की कोशिश के रूप में देखा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सलमान खान का नाम आतंकवाद निरोधक अधिनियम की “चौथी सूची” यानी शेड्यूल-IV में शामिल कर दिया। इस सूची में उन व्यक्तियों या संगठनों को रखा जाता है जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है या जिनकी गतिविधियों पर सरकार को नजर रखनी होती है। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया कि सलमान खान की टिप्पणी “राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ” है, इसलिए उनके खिलाफ यह कदम उठाया गया है।
इस फैसले ने भारत-पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और जटिल बना दिया है। भारतीय जनता इस फैसले को हास्यास्पद और राजनीतिक स्टंट बता रही है, जबकि पाकिस्तान के मीडिया और राजनीतिक हलकों में इसे “राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा” के रूप में पेश किया जा रहा है। कई पाकिस्तानी विश्लेषकों ने दावा किया कि सलमान खान ने अंतरराष्ट्रीय मंच से बलूचिस्तान के अलगाववादियों को नैतिक समर्थन दिया है, जबकि भारत में इसे एक सामान्य और गैर-राजनीतिक वक्तव्य बताया जा रहा है।
अब तक सलमान खान या उनकी टीम की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। हालांकि, भारत के कई फिल्म और राजनीतिक जगत के लोगों ने इस कार्रवाई की निंदा की है। उनका कहना है कि यह पाकिस्तान का एक और उदाहरण है जहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को गलत रूप में प्रस्तुत किया गया है।
बलूचिस्तान का मुद्दा लंबे समय से पाकिस्तान की राजनीति में संवेदनशील रहा है। वहाँ के अलगाववादी समूह पाकिस्तान सरकार के खिलाफ दशकों से आंदोलन कर रहे हैं और कई बार पाकिस्तान पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगे हैं। ऐसे में, सलमान खान का “बलूचिस्तान” शब्द उच्चारित करना ही इस पूरे विवाद का कारण बन गया।
कई अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का मानना है कि पाकिस्तान का यह कदम ज्यादा प्रतीकात्मक है, व्यावहारिक नहीं। यह अंदरूनी राजनीतिक दबाव और अस्थिर हालात को संभालने के लिए किया गया दिखावटी निर्णय हो सकता है।
संपूर्ण घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद का माहौल अब भी बेहद नाजुक है, और किसी भी सार्वजनिक टिप्पणी को राजनीतिक विवाद का रूप देने में देर नहीं लगती। सलमान खान पर यह “आतंकवादी” टैग पाकिस्तान की राजनीति का नया नाटक बन गया है, जबकि भारत में इसे केवल “हास्यास्पद और अपरिपक्व प्रतिक्रिया” के रूप में देखा जा रहा है।
