पाकिस्तान के जनरल की स्वीकारोक्ति — “भारत बन चुका है नए विश्व क्रम का शक्तिशाली खिलाड़ी”

Jitendra Kumar Sinha
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पाकिस्तानी सेना के नंबर-2 अधिकारी जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा ने हाल ही में भारत को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत अब नए “वर्ल्ड ऑर्डर” का एक शक्तिशाली खिलाड़ी बन चुका है, जो अपने कूटनीतिक और आर्थिक प्रभाव से वैश्विक दक्षिण यानी ग्लोबल साउथ पर गहरा असर डाल रहा है। मिर्ज़ा ने माना कि भारत का रुतबा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार बढ़ रहा है और यह बात पाकिस्तान जैसे देशों के लिए चिंता का कारण है।


जनरल मिर्ज़ा ने कहा कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं रहा, बल्कि उसने खुद को पश्चिमी देशों के लिए “ट्रोजन हॉर्स” यानी रणनीतिक माध्यम के रूप में स्थापित कर लिया है। उनके अनुसार, भारत पश्चिमी देशों के साथ मिलकर ऐसा नया वैश्विक संतुलन बना रहा है जिसमें पारंपरिक मुस्लिम देशों और चीन-पाकिस्तान जैसे गठबंधनों की भूमिका कमजोर होती जा रही है। मिर्ज़ा के मुताबिक, भारत अपनी सॉफ्ट पावर, तकनीकी विकास और आर्थिक ताकत के जरिए वैश्विक दक्षिण के देशों का समर्थन हासिल कर चुका है, जिससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्थिति हाशिए पर पहुँच गई है।


उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान की विदेशी नीति और आर्थिक अस्थिरता ने भारत के लिए रास्ता और आसान बना दिया है। भारत जहां आईटी, रक्षा, और अंतरिक्ष तकनीक में दुनिया का ध्यान खींच रहा है, वहीं पाकिस्तान कर्ज, आतंकवाद, और आंतरिक अस्थिरता से जूझ रहा है। मिर्ज़ा ने कहा कि भारत की विदेश नीति अब “मल्टी-अलाइनमेंट” की दिशा में काम कर रही है, जहाँ वह अमेरिका, रूस, और अरब देशों—तीनों के साथ मजबूत संबंध बनाए हुए है, जबकि पाकिस्तान का झुकाव केवल चीन पर निर्भर होता जा रहा है।


उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि भारत का बढ़ता प्रभाव दक्षिण एशिया के शक्ति संतुलन को पूरी तरह बदल सकता है। पाकिस्तान के पारंपरिक सहयोगी अब भारत के साथ भी रिश्ते मजबूत कर रहे हैं—सऊदी अरब, यूएई, और यहां तक कि ईरान ने भी नई दिल्ली के साथ व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी बढ़ा दी है। मिर्ज़ा के शब्दों में, “भारत अब ग्लोबल साउथ की आवाज बन गया है, जबकि पाकिस्तान अपने ही घरेलू संकटों में उलझा हुआ है।”


पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञों और पूर्व अधिकारियों ने मिर्ज़ा के इस बयान को “कटु सत्य” बताते हुए स्वीकार किया कि इस्लामाबाद को अब आत्ममंथन की जरूरत है। उनका कहना है कि भारत ने जिस तरह अपनी विदेश नीति में व्यावहारिकता और आर्थिक राष्ट्रवाद को केंद्र में रखा है, पाकिस्तान को भी अब भावनात्मक नहीं बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।


कुल मिलाकर, मिर्ज़ा का यह बयान न सिर्फ भारत की वैश्विक सफलता की अनिच्छुक स्वीकारोक्ति है, बल्कि यह पाकिस्तान के भीतर बढ़ते असुरक्षा-बोध का भी प्रतिबिंब है। भारत जहाँ आत्मविश्वास के साथ “विश्वगुरु” की छवि गढ़ रहा है, वहीं पाकिस्तान को यह एहसास हो रहा है कि उसकी पारंपरिक नीतियाँ अब इस नए विश्व-क्रम में अप्रासंगिक होती जा रही हैं।

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