प्रशांत किशोर ने ऐलान किया है कि वह बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी जन सुराज ने यह निर्णय संगठनात्मक मजबूती के हित में लिया है। किशोर का कहना है कि अगर वह खुद चुनाव लड़ते, तो उन्हें किसी एक विधानसभा क्षेत्र में सीमित होना पड़ता, जिससे पार्टी की राज्यव्यापी रणनीति और अभियान पर असर पड़ता। उनका कहना है कि उनकी प्राथमिकता संगठन को मजबूत करना और जन सुराज के सिद्धांतों को पूरे बिहार में फैलाना है, न कि व्यक्तिगत राजनीतिक लाभ।
उन्होंने कहा कि वह पूरी ताकत से राज्य के हर जिले में जाकर पार्टी को मजबूत करेंगे और जनता के बीच जन सुराज की सोच को ले जाएंगे। किशोर ने राघोपुर सीट से चुनाव लड़ने की अटकलों को पूरी तरह खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि उस सीट से जन सुराज के उम्मीदवार चंचल सिंह मैदान में उतरेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जन सुराज का लक्ष्य 150 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करना है, और अगर पार्टी इससे कम सीटें लाती है तो इसे हार माना जाएगा।
किशोर ने दावा किया कि इस बार बिहार में एनडीए गठबंधन को हार का सामना करना पड़ेगा क्योंकि जनता अब परिवर्तन चाहती है। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति को जातीय और पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकालने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी और अकेले ही मैदान में उतरेगी।
जन सुराज पार्टी ने अब तक दो सूचियाँ जारी की हैं — पहली में 51 और दूसरी में 65 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। किशोर ने कहा कि इन उम्मीदवारों का चयन पूरी तरह जनसंपर्क और सामाजिक योगदान के आधार पर किया गया है, न कि जाति या राजनीतिक संबंधों के आधार पर। उन्होंने कहा कि जन सुराज आंदोलन बिहार की राजनीति में नई दिशा देने वाला प्रयोग साबित होगा और आने वाले चुनाव में इसका असर हर जिले में देखा जाएगा।
