अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump ने भारत की ऊर्जा-नीति व तेल / गैस आयात नीति को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यदि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है तो उस पर भारी टैरिफ लग सकती है। ट्रम्प ने दावा किया है कि भारत के प्रधानमंत्री Narendra Modi ने उन्हें भरोसा दिया है कि भारत जल्द ही रूस से तेल की खरीद बंद करेगा, लेकिन भारत ने कहा है कि इसकी स्थिति वैश्विक ऊर्जा बाजार, कीमतों व आपूर्ति की चुनौतियों से प्रभावित है और उसने “विविधीकरण” की नीति अपनाई है।
ट्रम्प की चेतावनी काट-छाँट नहीं रखती; उन्होंने कहा है कि यदि भारत ने रूसी तेल खरीदना बंद नहीं किया, तो उस पर 200 प्रतिशत से भी अधिक टैरिफ लगाने की संभावना है। इस तरह की धमकी इस मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की ऊर्जा रणनीति लंबे समय से विविध स्रोतों पर निर्भर रही है – रूस, मध्य पूर्व, अफ्रीका से आयात और साथ-ही घरेलू उत्पादन-विकास। अब इस तरह की अमेरिकी चेतावनियों के बीच भारत को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
भारत की प्रतिक्रिया में यह कहा गया है कि उसकी ऊर्जा नीति देश की सर्वोच्च प्राथमिकता है — १४ अरब से ऊपर की जनसंख्या और बढ़ती ऊर्जा मांग को देखते हुए। भारत ने इसे कहा है कि वह अपनी आवश्यकताओं व वैश्विक बाजार की चुनौतियों के मद्देनजर तेल-गैस स्रोतों का विविधीकरण कर रहा है और किसी भी एक स्रोत पर “पकड़े” नहीं जाना चाहता। साथ ही भारत ने यह भी कहा है कि वो अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को “अन्यायपूर्ण और असंगत” मानता है।
इस पूरे परिप्रेक्ष्य में यह बात उभरकर सामने आती है कि अमेरिका-भारत संबंधों में अब केवल व्यापार-मुद्दे नहीं बल्कि रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी, रूस-उच्चारणित ऊर्जा ऑब्लिगेशन, और वैश्विक शक्ति-संतुलन भी शामिल हो गया है। ट्रम्प ने यह तात्कालिक रूप से कहा है कि रूस से सस्ता तेल खरीदना, यूक्रेन-रूस युद्ध में रूस को आर्थिक मदद देना जैसा है — इसलिए ऐसी खरीदारी से भारत को दंडित किया जा सकता है।
भारत के लिए चुनौतियाँ हैं: अगर उसने तुरंत रूस से तेल खरीद बंद कर दिया तो उसे तत्काल अन्य स्रोतों से जुटाना होगा — जो कि सरल नहीं क्योंकि बचत मूल्य, लॉजिस्टिक, परिवहन एवं पुरानी आपूर्ति-श्रृंखला मीट-ना करती हैं। अगर उसने रूसी तेल लेना जारी रखा, तो अमेरिका की धमकियाँ अर्थ-व्यवस्था व निर्यात दोनों पर असर डाल सकती हैं। इस प्रकार भारत को संतुलित रणनीति अपनानी होगी: रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखना, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना, और बड़े व्यापार-भागीदारों जैसे अमेरिका से संबंध खराब न होने देना।
इस दौरान यह भी दिख रहा है कि अमेरिका-भारत ट्रेड वार्ता (Trade Deal) पर भी दबाव बढ़ा है — अमेरिका चाहता है कि भारत अपने अमेरिका से आयात व भारत-से निर्यात की शर्तों में बदलाव करे, लेकिन भारत इसे तभी करेगा जब उसे अमेरिकी टैरिफ व धमकियों से राहत मिलेगी। कुल मिलाकर, यह एक सख्त संदेश है भारत के लिए कि “आप अपनी ऊर्जा सुरक्षा लोकतांत्रिक रूप से तय कर सकते हैं — लेकिन तब जब आपके बड़े-बड़े व्यापार एवं estratégic संबंध सुरक्षित हों”।
