मधुबनी की शांत मिट्टी में प्रतिभा के अनगिनत बीज जन्म लेते हैं, लेकिन नौ साल की उम्र में दो किताब लिख देना किसी चमत्कार से कम नहीं है। यही कमाल कर दिखाया है मधुबनी के आदर्श भारद्वाज ने, जिन्होंने न सिर्फ कम उम्र में लेखन की दुनिया में कदम रखा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी अलग पहचान भी बनाई। बचपन में जहां बच्चे खेलकूद में मगन रहते हैं, वहीं आदर्श ने अपनी कल्पना, साहस और शब्दों की शक्ति से दुनिया को चकित कर दिया है।
आदर्श भारद्वाज की लिखी दो किताब में से ‘एल्गोरिथम ऑफ फीयर’ ने वैश्विक स्तर पर धूम मचा दी है। यह किताब इंटरनेशनल ऑथर एक्सीलेंस अवार्ड के लिए टॉप 100 में शामिल हुई है, जो किसी भी लेखक के लिए गर्व की बात है, पर नौ साल के एक बच्चे के लिए यह उपलब्धि सचमुच असाधारण है। इस किताब में भय, मनोविज्ञान और चुनौतियों की दुनिया को जिस सहजता और गहराई से समझाया गया है, वह आदर्श की उन्नत सोच और परिपक्व लेखन का प्रमाण है।
सिर्फ यही नहीं, आदर्श भारद्वाज को उनके रचनात्मक कार्यों और असाधारण क्षमता के लिए “इंटरनेशनल किड्स आइकॉन अवार्ड” से भी सम्मानित किया जा चुका है। यह सम्मान उन्हें उन बच्चों की फेहरिस्त में शामिल करता है, जो अपनी मेहनत, कल्पनाशीलता और प्रतिभा से दुनिया में नया इतिहास लिख रहे हैं।
उनके माता-पिता बताते हैं कि आदर्श को बचपन से ही किताबों और कहानियों का शौक रहा है। वह हर नई चीज को बड़े ध्यान से देखता और समझता है। यही जिज्ञासा उनके लेखन का आधार बनी। ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान मिले अवसरों ने उसके सोचने की क्षमता और शब्दों के जाल बुनने की कला को और निखारा। आदर्श भारद्वाज अपने उम्र के बच्चों की तुलना में अधिक परिपक्वता के साथ दुनिया को देखता है। यह सोच उनकी हर पंक्ति में झलकती है।
आज जब बच्चे डिजिटल गैजेट्स में खो जाते हैं, आदर्श भारद्वाज जैसे बच्चे प्रेरणा देते हैं कि सृजनात्मकता की कोई उम्र नहीं होती है। मेहनत, रुचि और मार्गदर्शन से कोई भी बच्चा असंभव को संभव बना सकता है। आदर्श भारद्वाज की यह सफलता सिर्फ उनका व्यक्तिगत गौरव नहीं है, बल्कि पूरी मधुबनी और बिहार के लिए गर्व की बात है।
भविष्य में आदर्श भारद्वाज क्या लिखेंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि वह नन्ही उम्र में लेखन की जिस ऊंचाई पर पहुंच चुका है, वह उसे आगे एक बेहतरीन लेखक बनने का मार्ग दिखाती है।
