भारत का संविधान दुनिया का सबसे विस्तृत और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित दस्तावेज माना जाता है। जब हम संविधान-निर्माण की बात करते हैं, तो आम तौर पर डॉ. भीमराव आंबेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू या सरदार पटेल जैसे कुछ बड़े नाम ही स्मृति में आता है। लेकिन इस महान दस्तावेज को तैयार करने का कार्य 299 सदस्यों की एक विशाल टीम ने किया था, जिसमें तत्कालीन बिहार (जिसमें आज का झारखंड भी शामिल था) से कुल 36 प्रतिनिधि शामिल थे। यह वे नायक थे, जिन्होंने प्रत्येक अनुच्छेद, सिद्धांत और अधिकार पर गहन बहस कर संविधान को एक जीवंत स्वरूप दिया।
दुर्भाग्य से, इनमें से अधिकांश नाम आज इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया है। जबकि दलितों, आदिवासियों और वंचित वर्गों के अधिकारों को लेकर जिस मजबूती से तर्क रखा गया है, उसमें बिहार के इन सदस्यों की भूमिका बेहद अहम रही है।
संविधान सभा में बिहार और झारखंड का प्रतिनिधित्व करने वाले 36 लोग केवल अपने क्षेत्र की आवाज नहीं थे, बल्कि पूरे भारत के लोकतांत्रिक भविष्य के निर्णायक निर्माता थे।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद न केवल अध्यक्ष बने, बल्कि संविधान के हर मसले पर उनकी संतुलित दृष्टि मिसाल बनी। डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा ने अस्थायी अध्यक्ष के रूप में प्रारंभिक दिशा तय की। जगजीवन राम ने सामाजिक न्याय और समानता के मुद्दे को मजबूती से रखा। जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासी अधिकारों और जल-जंगल-जमीन की चिंता को संविधान में स्थान दिलाया, यह उनकी ऐतिहासिक भूमिका रही।
कामेश्वर सिंह, श्रीकृष्ण सिंह, अनुग्रह नारायण सिंह जैसे नेताओं ने प्रशासनिक ढांचे से लेकर आर्थिक नीति तक कई महत्वपूर्ण विचार रखे। इन प्रतिनिधियों में से कई वकील, कई किसान-नेता, कई शिक्षाविद्, और कई सामाजिक कार्यकर्ता थे। हर किसी ने अपने अनुभव और दृष्टि से संविधान को व्यापक और समावेशी बनाया।
36 विभूतियाँ, जिनके नाम हर भारतीय को जानना चाहिए वे महान नाम हैं जिनके योगदान की पहचान आज जरूरी है- डॉ राजेन्द्र प्रसाद, डॉ सच्चिदानंद सिन्हा, बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला, कमलेश्वरी प्रसाद यादव, जगजीवन राम, कामेश्वर सिंह, जयपाल सिंह मुंडा, श्यामनंदन सहाय, रामनारायण सिंह, सत्यनारायण सिन्हा, सारंगधर सिन्हा, श्रीकृष्ण सिंह, बिनोदानंद झा, कृष्ण बल्लभ सहाय, ब्रजेश्वर प्रसाद, मोहम्मद ताहिर, दीप नारायण सिंह, तजामुल हुसैन, बाबू गुप्तनाथ सिंह, सैयद जफर इमाम, केटी शाह, भागवत प्रसाद, जदुबंस सहाय, डॉ रघुनंदन प्रसाद, अनुग्रह नारायण सिंह, चंद्रिका राम, देवेंद्रनाथ सामंतो, जगत नारायण लाल, बोनीफास लकड़ा, महेश प्रसाद सिन्हा, रामेश्वर प्रसाद सिंह, हुसैन इमाम, लतिफुर रहमान, श्रीनारायण महथा, अमिय कुमार घोष और पी. के. सेन।
संविधान केवल कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के आत्मा का लेखा-जोखा है। ऐसे में उन 36 विभूतियों का स्मरण करना आवश्यक है, जिनके विचारों, संघर्षों और बहसों ने इसे आकार दिया। बिहार और झारखंड के लोग गर्व से कह सकते हैं कि हमारे प्रतिनिधियों ने संविधान निर्माण में सामाजिक न्याय, समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे की नींव को मजबूती दी।
