डेंगू से जूझ रही दुनिया के लिए ब्राजील की ताज़ा उपलब्धि उम्मीद की नई किरण बनकर उभरी है। साओ पाउलो स्थित बुटानटन इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित और ब्राजील सरकार द्वारा अनुमोदित “बुटानटन-डीवी” दुनिया की पहली सिंगल-डोज डेंगू वैक्सीन बन गई है। यह 12 से 59 वर्ष की आयु के लोगों के लिए प्रभावी मानी गई है और विशेष रूप से उन देशों के लिए राहत लेकर आई है, जहां डेंगू हर साल हजारों लोगों की जान लेता है।
डेंगू एक मच्छरजनित बीमारी है, जिसका प्रसार दुनिया के 100 से अधिक देशों में होता है। एडीज एजिप्टी मच्छर से फैलने वाला यह वायरस कई बार सामान्य बुखार से लेकर जानलेवा डेंगू-शॉक सिंड्रोम तक का कारण बनता है। ऐसे में एक प्रभावी, तेज और आसान वैक्सीन की मांग वर्षों से की जा रही थी।
ब्राजील में यह बीमारी बड़ी चुनौती रही है, जहां हर साल लाखों मामले सामने आते हैं। इसलिए घरेलू स्तर पर तैयार “बुटानटन-डीवी” का अनुमोदन न सिर्फ वैज्ञानिक सफलता है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण कदम है।
यह वैक्सीन लाइव-एटेन्यूएटेड (कमजोर किए गए वायरस आधारित) तकनीक पर बनी है, जो शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है। सबसे बड़ी बात है कि इसे केवल एक बार लगवाना होता है, यानि सिंगल डोज ही लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करती है।
क्लिनिकल ट्रायल में इसने गंभीर डेंगू के खिलाफ 91.6% तक सुरक्षा दिखाई है। यह आंकड़ा दुनिया भर में उपलब्ध किसी भी डेंगू वैक्सीन से काफी बेहतर माना जा रहा है।
ब्राजील की ड्रग एजेंसी ने फिलहाल इस वैक्सीन को 12 से 59 वर्ष के लोगों के लिए मंजूरी दी है। इस आयु वर्ग के लोग डेंगू संक्रमण के सक्रिय वाहक होते हैं, इसलिए इस समूह को शामिल करना संक्रमण श्रृंखला को तोड़ने में मदद करेगा।
ब्राजील के कई राज्यों में हजारों स्वयंसेवकों पर किए गए ट्रायल्स में यह सामने आया है कि वैक्सीन गंभीर डेंगू के खतरे को लगभग पूरी तरह नियंत्रित कर देती है। एक डोज़ के बाद शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सक्रिय हो जाती है। इससे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी काफी हद तक कम होती है। इन नतीजों ने विशेषज्ञों को इस बात का भरोसा दिलाया है कि यह वैक्सीन विकासशील देशों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।
ब्राजील सरकार जल्द ही बड़े पैमाने पर वैक्सीन उत्पादन शुरू करने जा रही है। अगर अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों से मंजूरी मिलती है, तो यह वैक्सीन डेंगू प्रभावित एशियाई देशों जैसे- भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, में भी उपलब्ध हो सकती है।
सिंगल-डोज वैक्सीन का उपलब्ध होना डेंगू के खिलाफ लड़ाई में ऐतिहासिक मोड़ है। यह न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ कम करेगी, बल्कि लाखों लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
