डिजिटल पहचान की ओर भारत - “स्वदेशी चिप वाला ई-पासपोर्ट”

Jitendra Kumar Sinha
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विश्व के अधिकांश देशों में पहचान सुरक्षा, वैश्विक आवागमन और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर नई-नई तकनीकें अपनाई जा रही हैं। डिजिटल पासपोर्ट, बायोमेट्रिक सत्यापन, फेस रिकग्निशन आधारित इमिग्रेशन जैसे कदम आज की आवश्यकताएँ बन चुका है। भारत, जो पिछले दशक में डिजिटल इंडिया, आधार, यूपीआई, सी-डैक और विभिन्न आईटी मिशनों के माध्यम से दुनिया में एक नई तकनीकी पहचान बना चुका है, अब उसी कड़ी में एक और ऐतिहासिक कदम उठा चुका है “स्वदेशी चिप वाला ई-पासपोर्ट”।

ई-पासपोर्ट सिर्फ एक तकनीकी अपग्रेड नहीं है, बल्कि यह भारत की वैज्ञानिक शक्ति, साइबर सुरक्षा क्षमता और वैश्विक स्तर पर आधुनिक पहचान प्रबंधन की दिशा में मील का पत्थर है। इस तकनीक से एक ओर यात्रियों को तेज और सुरक्षित इमिग्रेशन सुविधा मिलेगी, वहीं दूसरी ओर पासपोर्ट जालसाजी, पहचान चोरी तथा दस्तावेजों की नकल जैसी समस्याओं पर भी रोक लगेगी।

ई-पासपोर्ट देखने में सामान्य पासपोर्ट जैसा ही होता है, पर इसकी कवर लेयर के भीतर एक RFID माइक्रोचिप लगी होती है। RFID चिप में बायोमेट्रिक डेटा, पासपोर्ट धारक की फोटो, फिंगरप्रिंट, फेसियल इमेज, नाम, जन्मतिथि, पासपोर्ट संख्या, जारी करने की तिथि और मशीन-रीडेबल जोन की डिजिटल कॉपी रहता है। 

चिप में मौजूद जानकारी को अत्याधुनिक एन्क्रिप्शन तकनीक से सुरक्षित किया गया है, जिससे डेटा हैक या कॉपी नहीं किया जा सकता है। दुनिया के किसी भी हवाई अड्डे पर ई-पासपोर्ट को पढ़ने वाली मशीन सेकंडों में पहचान सत्यापित कर सकती है। चिप में एन्क्रिप्टेड डेटा नकली पासपोर्ट बनाना लगभग असंभव कर देता है। स्वदेशी चिप और Indigenous Operating System प्रणाली IIT कानपुर द्वारा विकसित स्वदेशी चिप और OS पर आधारित है, यह भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी दर्शाता है।

भारत ने ई-पासपोर्ट को विकसित करते समय विदेशी तकनीक या कंपनियों पर निर्भर रहने के बजाय अपनी स्वयं की चिप और ऑपरेटिंग सिस्टम तैयार किया है। चिप डिजाइन, ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास, सुरक्षा प्रोटोकॉल की रूपरेखा और एन्क्रिप्शन तकनीकों का परीक्षण शामिल है। 

यह पहला अवसर है जब भारत ने किसी राष्ट्रीय पहचान दस्तावेज के लिए पूरी तरह स्वदेशी इकोसिस्टम विकसित किया है। यह कदम न केवल तकनीकी सुरक्षा को मजबूत बनाता है, बल्कि विदेशी ब्लैकबॉक्स टेक्नोलॉजी से होने वाले जोखिमों को भी घटाता है। स्वदेशी चिप इसलिए महत्वपूर्ण है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, डेटा गोपनीयता, लागत नियंत्रण, तेज अपग्रेड और साइबर खतरे कम होते हैं। आज “डेटा ही शक्ति” है, और भारत ने पासपोर्ट डेटा की सुरक्षा के लिए विश्व के सबसे मजबूत मॉडलों में से एक अपनाया है।

विदेश मंत्रालय ने मई 2025 से पूरे देश में ई-पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लक्ष्य है कि 2035 तक पूरी तरह ई-पासपोर्ट आधारित प्रणाली, हर नया पासपोर्ट ई-पासपोर्ट, पुराना पासपोर्ट वैध रहेगा, पर नवीनीकरण पर ई-पासपोर्ट ही मिलेगा। 80 लाख भारत में और 60,000 विदेशों में रहने वाले भारतीयों को जारी किया गया है ई-पासपोर्ट। यह संख्या तेजी से बढ़ रही है, और आने वाले वर्षों में भारत दुनिया के सबसे बड़े ई-पासपोर्ट वाले देशों में शामिल होगा।

जब पासपोर्ट को स्कैनर के पास लाया जाता है, तो स्कैनर की रेडियो वेव चिप को सक्रिय करती है, चिप में स्टोर जानकारी पढ़ी जाती है, बायोमेट्रिक डेटा और पासपोर्ट फोटो का मिलान किया जाता है और दो सेकंड के भीतर पहचान सत्यापित हो जाती है। यह पूरी तरह सुरक्षित है क्योंकि डिजिटल सिग्नेचर, EAC (Extended Access Control), BAC (Basic Access Control), AES/RSA आधारित एन्क्रिप्शन है इससे हैकिंग लगभग असंभव हो जाती है।

यात्रियों को अब लंबी लाइन में खड़े होकर दस्तावेज जांच नहीं करानी पड़ेगी। एक सेकंड में स्कैन = कुछ सेकंड में क्लियरेंस। अब कोई भी फर्जी पासपोर्ट बनाना लगभग असंभव हो गया है। किसी का नाम, फोटो बदलकर या पासपोर्ट कॉपी करके यात्रा करना बेहद कठिन। संदिग्ध यात्रियों की तेजी से होगी पहचान, अपराधियों पर होगा काबू और मानव तस्करी रोकने में सहायता होगा। दुनिया के किसी भी एयरपोर्ट पर भारतीय पासपोर्ट की विश्वसनीयता कई गुना बढ़ जाएगी। यह भारत के आधुनिक डिजिटल दस्तावेज ढांचे को मजबूत करेगा।

भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी जैसे तकनीकी रूप से उन्नत देशों की सूची में आ चुका है, जो ई-पासपोर्ट जारी करता है। भारत की खासियत है स्वदेशी चिप, स्वदेशी OS, अत्यधिक सुरक्षित एन्क्रिप्शन, बड़े पैमाने पर जारी करने की क्षमता और 140 करोड़ की आबादी के लिए सबसे बड़ी पहचान प्रणाली। अधिकांश देश चिप आयात करते हैं, लेकिन भारत ने इस क्षेत्र में भी स्वदेशी मॉडल अपनाकर अपनी तकनीकी क्षमता साबित कर दी है।

आरएफआईडी चिप में मौजूद डेटा लॉक कराया जा सकता है। पुलिस में शिकायत दर्ज, पासपोर्ट ऑफिस में रिपोर्ट, चिप को तुरंत ब्लॉक कर दिया जाएगा और चोरी या दुरुपयोग का कोई खतरा नहीं। यह सुविधा डिजिटल सुरक्षा को और पुख्ता बनाती है। पुराने पासपोर्ट वैध रहेंगे। जब नवीनीकरण कराया जाएगा वह ई-पासपोर्ट में बदला जाएगा और कोई भी अचानक परिवर्तन लागू नहीं होगा। यह संक्रमण पूरी तरह धीरे-धीरे और सरल तरीके से लागू किया जा रहा है। भविष्य में ये चीजें आम होगी। e-Gates जहाँ पासपोर्ट और फेस रिकग्निशन के माध्यम से स्वतः प्रवेश मिलेगी। बिना इंसानी हस्तक्षेप के पहचान सत्यापन होगी। यात्रियों की भीड़ कम होगी और तेज सुरक्षा प्रक्रिया होगी। भारत के बड़े हवाई अड्डों में यह प्रणाली धीरे–धीरे लागू की जा रही है।

ई-पासपोर्ट सिर्फ सुविधा नहीं है, बल्कि यह एक सुरक्षा कवच है। आतंकवाद विरोधी अभियानों में मदद, मानव तस्करी रोकने में सहायक, इंटरपोल और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ बेहतर डेटा साझाकरण, डुप्लीकेट पहचान बनाने का खतरा शून्य होगी। यह सीमा सुरक्षा को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा सुधार है।

ई-पासपोर्ट दिखाता है कि भारत खुद तकनीक बना रहा है, बड़े पैमाने पर लागू कर रहा है और सुरक्षा मानकों पर वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ रहा है। भारत पहले ही आधार, यूपीआई और डिजिटल पहचान में सबसे बड़ा देश है, अब पासपोर्ट भी उसी श्रेणी में शामिल हो रहा है।

सरकार का लक्ष्य है कि 2035 तक 100% ई-पासपोर्ट प्रणाली । इसका अर्थ होगा कोई भी मैनुअल पासपोर्ट नहीं, पूरी तरह डिजिटल दस्तावेज, यात्रा प्रक्रिया अत्याधुनिक और सुरक्षा का नया स्तर। भारत दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल ट्रैवल डॉक्यूमेंट नेटवर्क वाला देश बन जाएगा।

पासपोर्ट दिखाने की प्रक्रिया तेज,  कम समय,  कम परेशानी। ई-पासपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों पर उच्च स्तर का प्रमाणपत्र है। वेरिफिकेशन तेज होने से वीजा प्रक्रियाएँ भी आसान होगी। लंबी लाइनों में खड़े होने की आवश्यकता नहीं होगी।

किसी भी देश के लिए पहचान दस्तावेजों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। भारत ने इस क्षेत्र में यह दिखा दिया है कि वह न सिर्फ तकनीकी रूप से सक्षम है, बल्कि सुरक्षा के उच्चतम वैश्विक मानकों का पालन भी कर सकता है। स्वदेशी चिप और ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ भारत ने दुनिया को साफ संदेश दिया है कि “हम न केवल तकनीक का उपयोग कर सकते हैं, बल्कि उसे बना भी सकते हैं।”

ई-पासपोर्ट भारत की उस नई यात्रा का प्रतीक है, जिसमें तकनीक, सुरक्षा, नागरिक सुविधा और वैश्विक पहचान, चारों को मिलाकर एक नई डिजिटल व्यवस्था तैयार की जा रही है। यह केवल पासपोर्ट का बदलाव नहीं है, बल्कि यह डिजिटल इंडिया 2.0 की ओर बढ़ता हुआ कदम है, जो आने वाले वर्षों में भारत को विश्व के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत देशों की श्रेणी में खड़ा करेगा।



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