बिहार में नयी सरकार के गठन के साथ ही शहरी विकास के बड़े कदम उठाए जाने की तैयारी है। जिसके तहत राज्य के 11 बड़े शहरों में सैटेलाइट सिटी विकसित करने की योजना है। इस ambitious योजना की शुरुआत पटना–सोनपुर की जमीन पर बनने वाले ‘न्यू पटना’ या ‘ग्रेटर पटना’ से होगी, जिसे दिल्ली–एनसीआर मॉडल पर विकसित किया जाएगा।
पटना-सोनपुर के विस्तृत विस्तार में विकसित होने वाला यह ग्रीनफील्ड शहर आधुनिक सुविधाओं का मॉडल होगा। सरकार इसका ढांचा इस तरह तैयार कर रही है कि न केवल यहां की आबादी को नई दिशा मिले, बल्कि राज्य में निवेश, रोजगार और आधारभूत संरचनाओं का नया युग भी शुरू हो सके। बीते अगस्त में सरकार ने टाउनशिप विकास को लेकर नयी नियमावली मंजूर की थी, जिसमें “लैंड पुलिंग मॉडल” को अपनाते हुए नए शहरों के विकास की घोषणा की गई।
ग्रेटर पटना के विकास में सरकार ने ऐसा ढांचा तैयार किया है जिसमें आर्थिक बोझ कम हो और जमीन मालिकों को भी लाभ मिले। 55% भूमि विकसित स्वरूप में जमीन मालिकों को वापस की जाएगी। 22% भूमि सड़कों एव कनेक्टिविटी ढांचे के लिए। 5% क्षेत्र पार्क, ड्रेनेज, अस्पताल, पुलिस स्टेशन, बिजली सब-स्टेशन जैसी सार्वजनिक सुविधाओं के लिए। 3% क्षेत्र गरीबों के लिए आवास और 15% भूमि सरकार बाजार दर पर बेचेगी या आवासीय कॉम्प्लेक्स बनाकर आवंटित करेगी। इस मॉडल से न केवल शहर वैज्ञानिक रूप से विकसित होगा, बल्कि जमीन मालिक, जनता और सरकार, तीनों को लाभ मिलेगा।
पटना के बाद अन्य प्रमंडलीय मुख्यालयों में भी मॉडल टाउनशिप विकसित की जाएंगी। सबसे खास प्रस्ताव सीतामढ़ी में ‘सीतापुरम’ नामक आध्यात्मिक सिटी का है, जो धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक विकास को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।
नगर विकास मंत्री नितिन नवीन ने पदभार ग्रहण करते ही इन प्रस्तावों पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। विभाग के सचिव अभय कुमार और बुडको के एमडी अनिमेष कुमार पाराशर सहित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की जा चुकी है।
इससे पटना की बढ़ती आबादी का भार कम होगा, सोनपुर और उससे आगे के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेगी। आधुनिक सड़क, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा सुविधाओं के साथ एक नियोजित शहर का निर्माण होगा, रोजगार और निवेश के नए अवसर मिलेगा और बिहार के शहरीकरण का नया अध्याय शुरू होगा।
ग्रेटर पटना की परिकल्पना केवल एक शहर विस्तार योजना नहीं है, बल्कि बिहार को आधुनिक, व्यवस्थित और मजबूत शहरी ढांचे की ओर ले जाने वाला बदलाव है। आने वाले वर्षों में पटना-सोनपुर की धरती पर उभरता यह नया शहर बिहार के विकास का नया प्रतीक बन सकता है।
