कर्नाटक सरकार ने पर्यावरण बचाने की ओर एक अहम कदम उठाया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सभी सरकारी विभागों में प्लास्टिक की पानी की बोतलों का उपयोग बंद करने का आदेश दिया है। अब सरकारी बैठकों, कार्यक्रमों और दफ्तरों में डिस्पोजेबल प्लास्टिक नहीं चलेगा, बल्कि इको-फ्रेंडली विकल्प अपनाए जाएंगे। यह फैसला न केवल राज्य की पर्यावरण नीति को मजबूत करता है, बल्कि सरकारी संस्थानों को जिम्मेदार एव सतर्क नागरिक के रूप में प्रस्तुत भी करता है।
प्लास्टिक दुनिया के लिए किसी 'ढलती शाम की लंबी छाया' जैसा बन चुका है। दिखने में छोटा, लेकिन असर गहरा। एक प्लास्टिक बोतल को पूरी तरह नष्ट होने में सैकड़ों साल लगते हैं। यह जमीन, नदियों और समुद्र तक पहुँचकर पर्यावरण को जहरीला बना देता है। सरकारी दफ्तरों में रोजाना हजारों प्लास्टिक बोतलें इस्तेमाल होती हैं, जिनसे कचरे का पहाड़ बढ़ता जाता है।
इस आदेश से सरकार ने यह साफ कर दिया है कि जब तक शीर्ष संस्थान खुद उदाहरण नहीं बनेंगे, तब तक समाज में बदलाव संभव नहीं है। यह कदम जनता को भी प्रेरित करेगा कि वे अपने रोजमर्रा के जीवन में प्लास्टिक का उपयोग घटाएं।
अब सरकारी विभागों में पानी के लिए स्टील, ग्लास या मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा बड़े कार्यक्रमों में भी बांस, कपड़े या जैव-विघटनशील सामग्री का प्रयोग होगा। सरकारी मीटिंग के बीच अब चमकते स्टील ग्लास, नीली मिट्टी के सुराही-जैसे जग। दफ्तर में छोटी-सी हरियाली की खुशबू, जो कहती हो "हम बदलाव की राह पर हैं।"
कर्नाटक इस तरह के कदम पहले भी उठा चुका है। अब यह आदेश उनके प्रयासों में एक और मजबूत कड़ी जोड़ता है। राज्य सरकार यह संदेश दे रही है कि विकास और पर्यावरण साथ-साथ चल सकते हैं। यह कदम सिर्फ प्लास्टिक रोकने का नहीं है, बल्कि सोच बदलने का है।
बदलाव हमेशा बड़े नारे से नहीं, छोटे-छोटे कदमों से आता है। एक ग्लास स्टील का उठाएं, तो लगता है जैसे धरती को राहत की एक सांस मिली।
सरकार की पहल का असर आम जनता में भी दिखने लगेगा। स्कूल, निजी कार्यालय और अन्य संस्थान भी ऐसी नीतियों से प्रेरित होंगे। जब दफ्तरों में लोग अपनी स्टील की बोतलें लेकर आएंगे, तो यह आदत घर और समाज में भी पहुंचेगी।
यह फैसला केवल प्लास्टिक पर रोक नहीं है, यह भविष्य को हरियाली से भरने का बीज है। थोड़ा-थोड़ा बदलकर ही दुनिया बदलती है। कर्नाटक ने पहला कदम बढ़ाया है, बाकी राज्यों को भी इस दिशा में चलना चाहिए।
