भारत-चीन सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम हिमालयी क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए एक बड़ी तकनीकी राहत सामने आई है। 16 हजार फीट की ऊंचाई पर बर्फ से ढंके ऐसे इलाके, जहां सड़कें नहीं हैं, भारी उपकरण ले जाना लगभग असंभव होता है और मौसम हर पल चुनौती देता है। अब वहां भारतीय सेना ने स्वदेशी “मोनोरेल सिस्टम” विकसित कर एक नई उम्मीद जगा दी है। यह नवाचार न केवल सैन्य रसद को तेज और सुरक्षित बनाएगा बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को भी मजबूत करेगा।
अब तक हिमालयी ऊँचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों तक गोला-बारूद, भोजन, मेडिकल किट और अन्य आवश्यक सामग्री पहुँचाने का काम खतरों से भरा होता था। अक्सर सैनिकों को पैदल कई किलोमीटर तक बर्फीली ढलानों से गुजरना पड़ता था, जहाँ हिमस्खलन, तेज हवाएँ और फिसलन हर कदम पर चुनौती बनी रहती थीं।
सेना द्वारा विकसित यह नया मोनोरेल सिस्टम इन चुनौतियों को व्यापक रूप से कम करेगा। यह सिस्टम पहाड़ी ढलानों पर लगे मजबूत स्टील के तारों और सपोर्ट पोल्स के सहारे चलता है, जिससे सामग्री एक स्थान से दूसरे स्थान तक तेजी से पहुँचाई जा सकती है। इसमें स्वचालित ब्रेकिंग और सुरक्षित लोडिंग- अनलोडिंग जैसी सुविधाएँ भी शामिल हैं।
अब पारंपरिक तरीकों की तुलना में रसद पहुँचाने का समय काफी घट जाएगा। भारी बर्फबारी, तेज हवाओं और शून्य से नीचे तापमान में भी यह मोनोरेल बिना बाधा काम कर सकती है। खतरनाक ढलानों पर सैनिकों को खुद सामग्री ढोने की जरूरत कम होगी। यह सिस्टम भारतीय इंजीनियरों और सेना के रिसर्च विंग द्वारा तैयार किया गया है, जिससे रखरखाव और भविष्य में अपग्रेड आसान होंगे।
अत्यंत ऊँचाई वाले क्षेत्रों में तकनीकी समाधान तैयार करना आसान नहीं होता है। कम ऑक्सीजन, अत्यधिक ठंड और लगातार बदलते मौसम के बावजूद, सेना ने इस सिस्टम को ऐसे डिज़ाइन किया है कि यह लंबे समय तक टिकाऊ रहे। यह सोलर बैकअप से भी चल सकता है, जिससे ईंधन की निर्भरता घटती है। इसके जरिए एक बार में कई सौ किलो सामान सुरक्षित रूप से भेजा जा सकता है, और यदि आवश्यक हो, तो इसे मेडिकल इमरजेंसी के दौरान स्ट्रेचर-सपोर्टेड केबल मोड में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस “मोनोरेल सिस्टम” के कार्यान्वयन से न केवल रसद आपूर्ति में सुधार होगा, बल्कि कठिन परिस्थितियों में तैनात सैनिकों के मनोबल में भी बढ़ोतरी होगी। वे अब अधिक सुरक्षित और प्रभावी तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभा सकेंगे।
अरुणाचल प्रदेश के बर्फीले पहाड़ों के लिए बनाया गया यह स्वदेशी “मोनोरेल सिस्टम” भारतीय सेना की तकनीकी क्षमता, नवाचार और आत्मनिर्भरता का उत्कृष्ट उदाहरण है। सीमाओं की सुरक्षा में लगे सैनिकों की कठिनाइयाँ कम करना और उन्हें तकनीकी रूप से सशक्त बनाना देश की सुरक्षा रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सिस्टम भविष्य में अन्य पर्वतीय सीमाओं पर भी तैनात किया जा सकता है और भारत की सैन्य लॉजिस्टिक्स प्रणाली को नई ऊंचाई पर ले जाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
