मिट्टी से धातु पीने वाला पेड़ है - “पाइकनांद्रा अक्यूमिनाटा”

Jitendra Kumar Sinha
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प्रकृति में जीवन के असंख्य रूप हैं, कोई फूलों की सुगंध से मन मोह लेता है, तो कोई अपने औषधीय गुणों से मानवता का कल्याण करता है। लेकिन, एक ऐसा पेड़ जो मिट्टी से पानी नहीं बल्कि धातु ‘पीता’ हो। यह सुनने में भले ही अविश्वसनीय लगे, लेकिन न्यू कैलेडोनिया में पाया जाने वाला ‘पाइकनांद्रा अक्यूमिनाटा’ (Pycnandra acuminata) वाकई में ऐसा ही अद्भुत पौधा है, जिसे वैज्ञानिकों ने ‘द ट्री दैट ईट्स मेटल’ यानि धातु खाने वाला पेड़ नाम दिया है।

पाइकनांद्रा अक्यूमिनाटा कोई साधारण पेड़ नहीं है। इसकी जड़ों में ऐसी अद्भुत क्षमता होती है कि यह मिट्टी में मौजूद निकिल (Nickel) जैसे भारी धातु तत्त्वों को अपने अंदर सोख लेता है। सामान्य पौधा जहां केवल जल और पोषक तत्त्वों को अवशोषित करता है, वहीं यह पेड़ मिट्टी में मौजूद विषैले धातु यौगिकों को ग्रहण कर उन्हें अपने रस में परिवर्तित कर देता है।

शोधों के अनुसार, इस पेड़ के रस में निकिल की मात्रा इतनी अधिक होती है कि एक लीटर रस में लगभग 25 प्रतिशत तक शुद्ध निकिल पाया जाता है, जो किसी खदान में धातु की औसत मात्रा से कहीं ज्यादा है।

वैज्ञानिक इस पेड़ को ‘फाइटोमाइनिंग’ (Phytomining) के लिए प्रकृति का अद्भुत वरदान मानते हैं। फाइटोमाइनिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें पौधा मिट्टी से धातु सोखकर अपने ऊतकों में जमा करता है। बाद में इन पौधों से धातु निकाली जा सकती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना खनन का विकल्प मिल सकता है।

 न्यू कैलेडोनिया जैसे क्षेत्रों में, जहां मिट्टी में निकिल की प्रचुरता है, यह पेड़ धरती को शुद्ध करने का कार्य करता है और साथ ही निकिल का प्राकृतिक स्रोत भी बन जाता है।

पाइकनांद्रा अक्यूमिनाटा का विकास चक्र सामान्य पौधों की तुलना में धीमा होता है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है, पर एक बार जड़ें जमाने के बाद इसकी आयु अत्यधिक लंबी होती है। यह सैकड़ों वर्ष तक जीवित रह सकता है और अपने पर्यावरण में संतुलन बनाए रखता है।

इसकी चमकीली हरी पत्तियों में धातु के सूक्ष्म अंश होता है, जो सूर्य की रोशनी में हल्की धातुमय चमक पैदा करता है। यही कारण है कि यह देखने में भी असाधारण लगता है।

जहां भारी धातुएं सामान्य पौधों के लिए विष का काम करती हैं, वहीं पाइकनांद्रा अक्यूमिनाटा के लिए यही रक्षा कवच बन जाती हैं। निकिल जैसे तत्त्व इसे कीटों और रोगाणुओं से सुरक्षा प्रदान करता है। इस प्रकार, यह पेड़ “विष से अमृत बनाने” की अद्भुत कला का जीवंत उदाहरण है।

पाइकनांद्रा अक्यूमिनाटा न केवल वैज्ञानिक जिज्ञासा का विषय है, बल्कि यह, यह भी दर्शाता है कि प्रकृति कितनी रहस्यमयी और संतुलित है। यह पेड़ पृथ्वी के पर्यावरणीय संतुलन में अपनी विशेष भूमिका निभाता है, जहां यह विषैले तत्त्वों को मिट्टी से दूर करता है और धरती को शुद्ध बनाता है।



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