मिस्र की धरती पर जब भी कोई नई खोज होती है, तो वह केवल पत्थर और धूल का इतिहास नहीं खोलती, बल्कि पूरी सभ्यता के रहस्यों को सामने लाती है। ऐसा ही एक नया अध्याय सामने आया है जब प्रसिद्ध मिस्त्रविज्ञानी डॉ. जाही हवास ने गीजा के महान पिरामिड राजा खुफू के पिरामिड के भीतर 30 मीटर लंबी रहस्यमयी सुरंग की खोज की। यह खोज मिस्र विज्ञान के इतिहास में एक ऐसा मोड़ बन सकता है जो हजारों वर्षों से दबी हुई सच्चाइयों को उजागर करेगी।
डॉ. हवास के अनुसार, यह सुरंग एक बंद दरवाजे की ओर जाती है, जो संभवतः किसी छिपे हुए कक्ष, गुप्त समाधि या किसी अज्ञात रहस्य तक पहुंचने का रास्ता हो सकता है। उन्होंने संकेत दिया है कि 2026 में इस खोज का पूरा रहस्योद्घाटन किया जाएगा, जो मिस्र के इतिहास को नई परिभाषा दे सकता है।
गीज़ा के पिरामिडों में सबसे विशाल और प्रसिद्ध खुफू का पिरामिड (The Great Pyramid of Khufu) न केवल मिस्र बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक रहस्य है। इसे लगभग 4,500 वर्ष पूर्व बनाया गया था, और इसे प्राचीन विश्व के सात आश्चर्यों में गिना जाता है। इसकी ऊँचाई मूल रूप से लगभग 146 मीटर थी, हालांकि समय के साथ यह कुछ मीटर कम हो गई है।
खुफू, जिसे यूनानियों ने “Cheops” कहा, चौथे राजवंश (Fourth Dynasty) के फिरौन थे। उनका पिरामिड लगभग 23 लाख पत्थर के विशाल खंडों से बना है, जिनमें से प्रत्येक का औसत वजन दो से तीन टन तक है। निर्माण की तकनीक आज भी वैज्ञानिकों और इतिहासकारों के लिए रहस्य बनी हुई है।
डॉ. जाही हवास मिस्र विज्ञान की दुनिया में एक ऐसा नाम हैं जिनकी पहचान केवल एक पुरातत्वविद् के रूप में नहीं, बल्कि “मिस्र के इतिहास के प्रहरी” के रूप में किया जाता है। उन्होंने 50 से अधिक वर्षों से मिस्र के पुरातात्विक स्थलों पर काम किया है और अनेक महत्वपूर्ण खोजों का नेतृत्व किया है।
हवास ने बताया कि उनकी यात्रा की शुरुआत कानून का अध्ययन करने की महत्वाकांक्षा से हुई थी, लेकिन बाद में यह रुचि मिस्र की मिट्टी में दबी सभ्यता के प्रति जीवन भर की साधना में बदल गई। उनकी अगुवाई में मिस्र ने हाल के वर्षों में कई ऐसी खोजें की हैं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। अब यह नई सुरंग उनकी सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक मानी जा रही है।
यह खोज पारंपरिक खुदाई से नहीं, बल्कि आधुनिक स्कैनिंग तकनीकों (Advanced Scanning Technologies) से संभव हुई है। विशेष रूप से म्यूऑन टोमोग्राफी (Muon Radiography) नामक तकनीक का प्रयोग किया गया है, जो ब्रह्मांडीय किरणों से निकलने वाले म्यूऑन कणों का उपयोग करके ठोस संरचनाओं के भीतर झांकने में सक्षम होती है।
म्यूऑन स्कैनिंग से वैज्ञानिकों को पिरामिड के भीतर मौजूद खाली स्थानों और सुरंगों की सटीक संरचना का त्रि-आयामी नक्शा मिला है। इसी तकनीक की मदद से यह 30 मीटर लंबा गलियारा सामने आया, जो एक बंद दरवाजे की ओर जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दरवाजा किसी गुप्त राजकीय कक्ष, या संभवतः फिरौन खुफू की वास्तविक समाधि की ओर इशारा कर सकता है, वह समाधि जिसे आज तक खोजा नहीं जा सका है।
आज तक कोई भी पुरातत्वविद खुफू की वास्तविक समाधि का पता नहीं लगा पाया है। मुख्य कक्ष जिसे “King’s Chamber” कहा जाता है, उसमें केवल एक ग्रेनाइट का ताबूत मिला था, परंतु उसमें कोई ममी नहीं थी। इससे यह सवाल उठा कि क्या खुफू की असली समाधि कहीं और छिपी है?
अब जब 30 मीटर लंबी यह सुरंग मिली है, तो वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि शायद यह खुफू के अंतिम विश्राम स्थल तक पहुंचने का मार्ग हो सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह मिस्र की अब तक की सबसे बड़ी पुरातात्विक खोज साबित होगी।
डॉ. हवास ने खुलासा किया है कि यह सुरंग एक बंद पत्थर के दरवाजे की ओर जाती है। संभावना जताई जा रही है कि यह दरवाजा किसी गुप्त कक्ष की ओर खुलता है। यह कक्ष खुफू की समाधि, उनके खजाने, धार्मिक ग्रंथों या फिर निर्माण से जुड़े रहस्यों को छिपाए हो सकता है।
मिस्र के इतिहास में पहले भी कई बार ऐसे दरवाजे मिले हैं जो फॉल्स डोर्स (False Doors) कहलाते थे यानि ऐसे प्रतीकात्मक दरवाजे जिनसे आत्मा “दूसरी दुनिया” में प्रवेश करती थी। लेकिन इस बार जो संरचना मिली है, वह वास्तविक मार्ग की तरह प्रतीत होती है, जिससे संभावना बढ़ जाती है कि यह दरवाजा किसी भौतिक कक्ष की ओर जाता है।
इस खोज ने एक बार फिर यह साबित किया है कि प्राचीन मिस्री इंजीनियर न केवल कलाकार थे, बल्कि असाधारण वैज्ञानिक और गणितज्ञ भी थे। पिरामिड की संरचना इतनी सटीक है कि यह चारों दिशाओं के साथ लगभग पूर्णतया समांतर है। पथरीले ब्लॉकों की जुड़ाई में ऐसी निपुणता है कि उनके बीच एक रेजर ब्लेड तक नहीं जा सकती है। 30 मीटर लंबी यह नई सुरंग भी पिरामिड के आंतरिक ज्यामितीय संतुलन का हिस्सा लगती है। संभावना यह भी है कि इसे सुरक्षा कारणों से बनाया गया हो ताकि समाधि को लुटेरों से बचाया जा सके।
डॉ. हवास ने घोषणा की है कि इस खोज से संबंधित विस्तृत अध्ययन और उत्खनन का कार्य 2026 में सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया जाएगा। उनके अनुसार, इस सुरंग के अंदर जो भी छिपा है, वह मिस्र के इतिहास को पुनर्लिखित (rewrite) करने की क्षमता रखता है।
मिस्र की संस्कृति, धर्म और विज्ञान के अनेक पहलू अब तक अनुमान और मिथकों पर आधारित हैं। यदि यह सुरंग खुफू के असली कक्ष तक जाती है, तो न केवल उनके अंतिम संस्कार की पद्धति के बारे में, बल्कि उनकी सभ्यता की तकनीकी और धार्मिक सोच के बारे में भी प्रत्यक्ष प्रमाण मिल सकता है।
दुनिया भर के पुरातत्वविद और वैज्ञानिक अब इस खोज पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं। अमेरिका, जापान, फ्रांस और जर्मनी के शोधकर्ता मिस्र के साथ मिलकर इस सुरंग के संरचनात्मक अध्ययन और 3D स्कैनिंग पर काम कर रहे हैं। वे यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह सुरंग निर्माण के दौरान बनाई गई थी या बाद में किसी धार्मिक उद्देश्य से जोड़ी गई। कई विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यह गलियारा ऊर्जा या आत्मा के मार्ग का प्रतीक हो सकता है, जैसा कि मिस्री पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि आत्मा “आकाश की ओर चढ़ने” के लिए एक मार्ग से गुजरती है।
पिरामिडों को लेकर सदियों से अनेक रहस्य, किंवदंतियां और सिद्धांत प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इन्हें एलियन तकनीक से बनाया गया था, जबकि कुछ इसे गणितीय परिपूर्णता का चरम उदाहरण कहते हैं। अब इस नई खोज से इन रहस्यों पर फिर से बहस शुरू हो गई है। क्या यह संभव है कि प्राचीन मिस्रवासी ऊर्जा के प्रवाह, गुरुत्वाकर्षण के संतुलन या खगोलीय संरेखण के ऐसे ज्ञान से परिचित थे, जो आज भी आधुनिक विज्ञान के लिए चुनौती है? यह प्रश्न अब पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हो गया है।
डॉ. हवास हमेशा इस बात पर जोर देते रहे हैं कि मिस्र की सांस्कृतिक धरोहर केवल मिस्रवासियों की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की साझा धरोहर है। इसलिए नई खोजों को राजनीतिक या व्यावसायिक लाभ के बजाय शैक्षणिक और सांस्कृतिक दृष्टि से देखा जाना चाहिए। मिस्र सरकार ने भी इस खोज को “राष्ट्रीय गर्व” का प्रतीक बताया है और इसे संरक्षित करने के लिए विशेष सुरक्षा बल और वैज्ञानिक दल नियुक्त किया है।
इस खोज के बाद मिस्र के पर्यटन उद्योग में नई ऊर्जा आ गई है। दुनिया भर के पर्यटक अब गीजा की ओर रुख कर रहे हैं, ताकि वे उस पिरामिड को देख सकें जिसके भीतर इतिहास की सबसे रहस्यमयी सुरंग छिपी है। विश्व मीडिया ने इसे “Discovery of the Decade” यानि दशक की सबसे बड़ी खोज बताया है।
राजा खुफू का पिरामिड सदियों से मौन खड़ा है, लेकिन अब ऐसा लगता है कि वह फिर से अपनी कहानी सुनाने वाला है। 30 मीटर लंबी यह सुरंग केवल पत्थरों का रास्ता नहीं है, बल्कि समय की गहराइयों में झांकने की एक खिड़की है। यदि 2026 में इस दरवाजे के पार कोई गुप्त कक्ष मिलता है, तो यह मानव इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण पलों में से एक होगा। यह खोज यह सिखाती है कि चाहे सभ्यता कितनी भी पुरानी क्यों न हो, ज्ञान की खोज कभी समाप्त नहीं होती।
