सैकड़ों वर्षों से चीन के सम्राटों की गुप्त दुनिया का प्रतीक रही ‘फॉरबिडन सिटी’ (Forbidden City) अब भी विश्व के लिए आश्चर्य का केंद्र है। यह वही राजमहल है जहाँ प्रवेश करना कभी आम लोगों के लिए वर्जित था। इसी “फॉरबिडन सिटी” के भीतर स्थित ‘कियानलॉन्ग गार्डन’ (Qianlong Garden), जो लगभग 100 वर्षों से बंद था, अब आखिरकार अपने रहस्यों से पर्दा हटा चुका है। यह गार्डन केवल एक उद्यान नहीं है, बल्कि एक ऐसा जीवंत संग्रहालय है जहाँ कला, दर्शन, स्थापत्य और सम्राट की निजी संवेदनाओं का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
“कियानलॉन्ग गार्डन” का खुलना न केवल चीन के इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण है, बल्कि यह उस सभ्यता की आत्मा को पुनर्जीवित करने का प्रयास भी है, जिसने सौंदर्य और संतुलन को जीवन का अभिन्न अंग बनाया था।
बीजिंग के हृदय में स्थित “फॉरबिडन सिटी” (गुगोंग) का निर्माण 1406 से 1420 के बीच मिंग वंश के सम्राट योंगल (Yongle) के आदेश पर हुआ था। यह न केवल चीन के राजसी शासन का केंद्र था, बल्कि पूरे एशिया में साम्राज्यिक शक्ति, संस्कृति और अनुशासन का प्रतीक भी था।
“फॉरबिडन सिटी” लगभग 180 एकड़ में फैली है और इसमें 980 इमारतें हैं। इस परिसर में प्रवेश करना आम जनता के लिए वर्जित था, इसलिए इसे “फॉरबिडन” यानि “निषिद्ध” कहा गया। केवल सम्राट, उनका परिवार, और कुछ चुनिंदा मंत्री या सेवक ही यहाँ के आंगनों में कदम रख सकते थे।
इसी शहर के एक कोने में बना था “कियानलॉन्ग गार्डन”, जो सम्राट की आध्यात्मिक शांति और कलात्मक चिंतन का केंद्र माना जाता था।
कियानलॉन्ग सम्राट (शासनकाल 1735–1796) चीन के इतिहास के सबसे प्रसिद्ध और दूरदर्शी शासकों में से एक थे। उन्होंने न केवल अपने साम्राज्य को आर्थिक और सैन्य रूप से समृद्ध बनाया था, बल्कि कला, साहित्य और स्थापत्य को भी अभूतपूर्व ऊँचाइयों तक पहुँचाया था।
कियानलॉन्ग को कविता, चित्रकला, सुलेख, और बागवानी का गहरा शौक था। उन्होंने अपने लिए एक ऐसा उद्यान बनवाने की कल्पना की जहाँ वे अपने शासन के अंत के बाद शांति से निवृत्त हो सकें। इसी भावना से बना ‘कियानलॉन्ग गार्डन’ जिसे कभी ‘गुप्त उद्यान’ भी कहा जाता था।
यह गार्डन 1770 के दशक में बनवाया गया था। इसे किंग वंश (Qing Dynasty) के सर्वोत्तम शिल्पकारों और वास्तुकारों ने तैयार किया था। हालाँकि इसका आकार मात्र 6,000 वर्ग मीटर है, लेकिन इसकी जटिल संरचना और बारीकियों के कारण यह किसी विशाल साम्राज्यिक परिसर से कम नहीं लगता था।
गार्डन को चार मुख्य आंगनों (courtyards) में विभाजित किया गया है, और हर आँगन में विशेष वास्तुशिल्पीय प्रयोग किए गए हैं कहीं संगमरमर के मंडप हैं, कहीं कृत्रिम पहाड़ियाँ और झरने, कहीं काष्ठ पर नक्काशीदार छतें और चित्रित दीवारें।
कियानलॉन्ग ने इस उद्यान के डिजाइन को चीन के दक्षिणी क्षेत्रों के निजी उद्यानों से प्रेरित बताया था, जो अपने सघन सौंदर्य, संतुलित जलाशयों और सामंजस्यपूर्ण स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध था।
कियानलॉन्ग सम्राट की मृत्यु के बाद, यह उद्यान धीरे-धीरे भूल-भुलैया बन गया। 19वीं सदी के उत्तरार्ध में जब किंग वंश कमजोर हुआ, तो फॉरबिडन सिटी में कई हिस्से जर्जर होने लगे। 1911 में चीन में राजशाही का अंत हुआ, और 1920 के दशक में फॉरबिडन सिटी को एक संग्रहालय में बदल दिया गया। हालाँकि, “कियानलॉन्ग गार्डन” को बंद रखा गया, क्योंकि यह बहुत ही नाजुक और ऐतिहासिक दृष्टि से संवेदनशील था। इसके भित्तिचित्र, फर्नीचर और काष्ठकला अत्यंत बारीक थे और दशकों की उपेक्षा ने इन्हें नष्टप्राय बना दिया था। किसी भी प्रकार का सार्वजनिक प्रवेश इससे संरचनात्मक क्षति पहुँचा सकता था।
सालों बाद जब 1990 के दशक में चीन ने अपने सांस्कृतिक विरासतों को संरक्षित करने की दिशा में विशेष प्रयास शुरू किया, तब “कियानलॉन्ग गार्डन” को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए ‘वर्ल्ड मोन्यूमेंट्स फंड (WMF)’ और फॉरबिडन सिटी के विशेषज्ञों ने मिलकर एक 25 वर्षीय पुनर्स्थापन परियोजना शुरू की।
यह कार्य किसी साधारण मरम्मत की तरह नहीं था बल्कि यह एक वैज्ञानिक, कलात्मक और आध्यात्मिक पुनर्निर्माण की प्रक्रिया थी। विशेषज्ञों ने मूल रंग, लकड़ी और पत्थर की पहचान कर उन्हें संरक्षित किया। छतों के सुनहरे ड्रैगन और कमल के डिजाइन को फिर से उकेरा गया। हर दीवार और फर्श के नीचे से ऐतिहासिक परतें निकाली गईं ताकि असली रूप सामने आए। पुनर्स्थापन के दौरान आधुनिक तकनीकों जैसे 3D स्कैनिंग और माइक्रो-डिटेल फोटोग्राफी का भी प्रयोग हुआ। अंततः, 25 वर्षों की मेहनत के बाद यह गार्डन अपने मूल रूप के करीब पहुँच सका, मानो इतिहास फिर से साँस लेने लगा हो।
“कियानलॉन्ग गार्डन” का हर कोना एक कहानी कहता है। यह ऐसा उद्यान है जहाँ हर मंडप, हर पत्थर, और हर पौधा किसी न किसी दर्शन या प्रतीक का प्रतिनिधित्व करता है। ‘डबल अप्रोच मंडप’ (Double Approach Pavilion) इस विचार को दर्शाता है कि जीवन में हर रास्ता किसी न किसी ज्ञान की ओर जाता है। कृत्रिम पहाड़ी और जलाशय ‘यिन-यांग’ के संतुलन का प्रतीक हैं, स्थिरता और प्रवाह का संगम। सुलेख और कविता की दीवारें कियानलॉन्ग की कलात्मक आत्मा को प्रकट करती हैं, जिन पर उन्होंने स्वयं अपने हाथों से शिलालेख उकेरे थे। गार्डन के अंदर ऐसा भ्रम होता है मानो समय ठहर गया हो, एक कदम आगे बढ़ते ही दृश्य बदल जाता है। इसी को चीनी कला में कहा जाता है “एक कदम, एक दृश्य” (One step, one view)।
“कियानलॉन्ग गार्डन” को केवल विश्राम स्थल के रूप में नहीं बनाया गया था, बल्कि यह सम्राट के ध्यान और आत्मचिंतन का स्थान था। कियानलॉन्ग बौद्ध दर्शन से प्रभावित था और इस गार्डन के कई हिस्सों में जेन परंपरा के तत्व दिखाई देता है। यहाँ पत्थर की मूर्तियाँ, जल का प्रवाह और शांत मंडप, सब कुछ यह संदेश देता है कि सच्ची समृद्धि आंतरिक शांति में है।
साल 2025 में यह ऐतिहासिक उद्यान पहली बार आम जनता के लिए खोला गया है। सदी भर से बंद यह स्थल अब चीन और विश्व के पर्यटकों के लिए आध्यात्मिक और ऐतिहासिक अनुभव का केंद्र बन गया है। हालाँकि, संरक्षण की दृष्टि से केवल सीमित संख्या में आगंतुकों को प्रतिदिन प्रवेश की अनुमति दी जाती है। हर समूह को विशेषज्ञ गाइड के साथ भेजा जाता है ताकि वे न केवल सुंदरता देखें बल्कि उसकी सांस्कृतिक गहराई को समझ सकें।
“कियानलॉन्ग गार्डन” का पुनः खुलना केवल चीन के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानव सभ्यता के लिए संस्कृति संरक्षण की मिसाल है। यह दिखाता है कि आधुनिकता के दौर में भी इतिहास को जतन किया जा सकता है, बशर्ते धैर्य और संवेदनशीलता से काम लिया जाए।
यूनेस्को और विश्व धरोहर संगठनों ने इसे ‘अद्वितीय स्थापत्य एवं कलात्मक उदाहरण’ माना है। अब यह गार्डन चीन की “लिविंग हेरिटेज साइट्स” की सूची में शामिल हो चुका है।
