सर्दियों का मौसम जहाँ कई लोगों के लिए आराम और गर्म पेय का आनंद लेकर आता है, वहीं कुछ लोगों के लिए यह हाथ-पैरों में असहज ठंडक, रंग बदलने और सुन्नपन की समस्या भी साथ लाता है। यदि आपके हाथ-पैर तापमान गिरते ही बर्फ जैसे ठंडे हो जाते हैं, उनका रंग सफेद, नीला या लाल होने लगता है और उनमें झुनझुनी या दर्द महसूस होता है, तो यह मात्र ठंड का असर नहीं है बल्कि ‘रेनॉड्स सिंड्रोम’ (Raynaud’s Syndrome) का संकेत हो सकता है।
रेनॉड्स सिंड्रोम एक ऐसी मेडिकल स्थिति है जिसमें हाथ-पैरों की छोटी रक्त वाहिकाएं अचानक सिकुड़ जाती हैं। इसे वेसोकॉन्स्ट्रिक्शन कहा जाता है। इससे रक्त प्रवाह कम हो जाता है, और उंगलियों, पंजों, कभी-कभी कान और नाक में भी रंग बदलने और सुन्नपन जैसी अनुभूति होती है। पहले चरण में त्वचा सफेद, फिर नीली, और अंत में लाल हो जाती है। यह प्रक्रिया कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक चल सकती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, रेनॉड्स सिंड्रोम महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक पाया जाता है। इसके पीछे हार्मोनल बदलाव, तापमान के प्रति संवेदनशीलता और शरीर की रक्त वाहिकाओं की प्रतिक्रिया को माना जाता है।
सिर्फ ठंडी हवा ही नहीं, बल्कि भावनात्मक तनाव भी इस स्थिति को ट्रिगर कर सकता है। तनाव के समय नसें सिकुड़ जाती हैं और तुरंत उंगलियां ठंडी या सुन्न पड़ जाती हैं। यही कारण है कि कई बार लोग इसे चिंता या घबराहट से जुड़ी समस्या समझकर अनदेखा कर देते हैं।
रेनॉड्स के दो प्रकार होते हैं। पहला प्राइमरी रेनॉड्स जो सबसे आम, किसी अन्य बीमारी से जुड़ा नहीं और आमतौर पर गंभीर नहीं होता है। दूसरा सेकेंड्री रेनॉड्स जो किसी अन्य बीमारी का संकेत हो सकता है। स्क्लेरोडर्मा, ल्युपस, रुमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों से जुड़ा हो सकता है और उंगलियों में घाव या ऊतक क्षति का खतरा होता है। लैंसेट रूमेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में यह पाया गया है कि सेकेंड्री रेनॉड्स वाले मरीजों में छोटी रक्त वाहिकाओं की क्षति शुरुआती स्तर पर पहचान में आ सकता है और समय रहते उपचार संभव है।
विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि रेनॉड्स कई बार गंभीर ऑटोइम्यून रोगों का शुरुआती संकेत हो सकता है। यदि लक्षण बार-बार दिखाई दें, दर्द हो या उंगलियों में घाव बनने लगे, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
सर्दियों में रेनॉड्स को नियंत्रित करने के लिए सरल परिवर्तन बहुत मददगार होते हैं। बाहर निकलते समय गर्म दस्ताने और मोजे पहनें, अचानक ठंड के संपर्क से बचें, तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान और श्वसन व्यायाम करें, कैफीन और धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ते हैं, इनसे दूरी रखें, गर्म पानी से हाथ-पैर सेकें और व्यायाम से रक्त परिसंचरण बेहतर होता है।
———————
