अजीत डोभाल ने कहा कि देश निर्माण में शासन की होती मौलिक भूमिका

Jitendra Kumar Sinha
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नई दिल्ली की हवा में राष्ट्रीय एकता दिवस का गर्व तैर रहा था। मंच पर जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बोले, तो शब्दों में केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि देश की धड़कन की धुन थी। उन्होंने कहा कि शासन केवल कार्यालयों, नियमों और फाइलों का जाल नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण का वह मौलिक स्तंभ है, जो हर ईंट को दिशा और हर सपने को उड़ान देता है।


डोभाल की बातों में एक बात साफ थी कि देश केवल सीमाओं से नहीं, बल्कि व्यवस्था, नेतृत्व और सामूहिक भावना से बनता है। शासन का अर्थ है वह कला जिसमें जनता की सुरक्षा, विकास और मनोबल का ध्यान रखा जाए। यह खेतों की मिट्टी से लेकर अंतरिक्ष में उड़ते उपग्रह तक, हर कदम पर छाया हुआ रहता है। जब शासन मजबूत होता है, तो देश संकट की बारिश में भी स्थिर रहता है। और जब शासन कमजोर हो, तो विकास का वृक्ष सूखने लगता है।


उन्होंने इस अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल को याद किया। वह लौह पुरुष, जिसने रियासतों के बिखरे मोतियों को एक धागे में पिरोकर भारत को एक अखंड हार बना दिया। पटेल की दूरदर्शिता केवल इतिहास का अध्याय नहीं है, बल्कि आज भी दिशा दिखाने वाला प्रकाशस्तंभ है। उनके दृढ़ नेतृत्व ने देश को सिखाया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और साफ नीयत से असंभव दिखने वाला काम भी संभव हो सकता है।


डोभाल ने इस बदलते दौर का जिक्र किया, जहां चुनौतियाँ पहले से तेज और जटिल हैं। तकनीक का दौर है, जहां युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि साइबर दुनिया, आर्थिक मोर्चे और विचारधाराओं के स्तर पर भी लड़े जाते हैं। ऐसे समय में शासन को चपल, दूरदर्शी और जिम्मेदार होना पड़ता है। सिर्फ कानून बनाना नहीं, बल्कि उन्हें जमीन पर उतारना असली कसौटी है।


राष्ट्र निर्माण भावनाओं के ईंधन और नीतियों के इंजन से आगे बढ़ता है। जनता भरोसे का पुल बनाती है और शासन उस पुल की नींव को मजबूत रखता है। आज जरूरत है ऐसे शासन की, जो पारदर्शी हो, संवेदनशील हो और देश के हर नागरिक को जोड़े रखे। जो जब जनता से बात करे, तो सिर्फ आदेश न दे, बल्कि प्रेरणा भी दे।


राष्ट्रीय एकता दिवस पर डोभाल का संदेश सिर्फ भाषण नहीं था, बल्कि यह याद दिलाना था कि देश कागजों पर नहीं, जीते-जागते लोगों के दिलों में बनता है और उस निर्माण की चाबी शासन के पास होता है।


सरदार पटेल की तरह, आज भी देश को ऐसे नेतृत्व और शासन की जरूरत है जो निडर हो, दूरदर्शी हो और राष्ट्रहित को अपनी धड़कन समझे। यही वह राह है जो भारत को और अधिक मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध बनाएगी।

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