नई व्यवस्था के तहत एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर सेवा होगी सशुल्क

Jitendra Kumar Sinha
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नई दिल्ली की हवा इन दिनों थोड़ी गंभीर फुसफुसाहटें करती दिखी। वजह भी खास थी। विमानन नियामक डीजीसीए ने एक नया नियम लागू किया है, जिसमें हवाई अड्डों पर व्हीलचेयर सुविधा अब शारीरिक रूप से सक्षम यात्रियों के लिए सशुल्क कर दी गई है। दिव्यांगजन इस नियम से पूरी तरह मुक्त रहेंगे, मगर जो यात्री सुविधा के चलते व्हीलचेयर लेना चुनेंगे, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।


डीजीसीए का कहना है कि एयरलाइंस अपनी वेबसाइट पर इस शुल्क को पारदर्शी रूप से प्रदर्शित करेगी ताकि कोई भ्रम न रहे। यह फैसला यूं ही आसमान से नहीं टपका। पिछले कुछ समय से एयरलाइंस और एयरपोर्ट संचालकों के खिलाफ शिकायतें बढ़ी थीं। कुछ यात्रियों ने बिना बुकिंग के व्हीलचेयर मांग ली, कुछ ने सुविधा का दुरुपयोग किया, और नतीजा यह हुआ कि जिन लोगों को सच में इसकी जरूरत थी, उन्हें देरी या असुविधा का सामना करना पड़ा।


इसलिए, विमानन नियामक ने सितंबर में मसौदा जारी किया और सुझाव मांगे। अब संशोधन लागू हो गया है। उद्देश्य साफ है,  वास्तविक जरूरतमंदों को प्राथमिकता मिले और सेवा का दुरुपयोग न हो।


यह निर्णय दो भागों में बात करता है। पहला, संवेदना। दिव्यांगजन समेत वे यात्री जो चिकित्सा कारणों से व्हीलचेयर पर निर्भर हैं, उन्हें यह सुविधा मुफ्त और सम्मान सहित मिलती रहेगी। दूसरा, जिम्मेदारी। सुविधाभोगी यात्रियों को समझाया जा रहा है कि एयरपोर्ट का संसाधन सीमित होता है, और सुविधा का मतलब यह नहीं कि मुफ्त हो।


हालांकि, कुछ सवाल हवा में लहराते दिखते हैं। क्या यह शुल्क बहुत अधिक होगा? क्या यह वृद्ध यात्रियों या अस्थायी चोट वाले लोगों के लिए बोझ बढ़ाएगा? और क्या एयरलाइंस इसे सेवा सुधारने के मौके में बदलेगी या इसे बस राजस्व का नया नल बना देंगी?


यह भी संभव है कि इस बदलाव से एयरपोर्ट अनुभव ज्यादा सुव्यवस्थित हो। जैसे एक ट्रैफिक सिग्नल जहां बिना सोचे सीधी भीड़ ना दौड़े। लोग सोचकर, योजना बनाकर सुविधा लें।


एक तरह से यह कदम एयरपोर्ट के गलियारों को अधिक न्यायसंगत बनाने का दावा करता है। और हां, यह हमें याद दिलाता है कि कभी-कभी सहूलियत की कीमत होती है, मगर जरूरत की नहीं। खासकर तब, जब किसी की गतिशीलता सिर्फ एक पहिए की मदद से चल रही हो।


अब देखना यह होगा कि यह नियम उड़ान अनुभव को कितना बेहतर करता है और क्या यह यात्रियों की आदतों में भी कोई बदलाव लाता है। आकाश में उड़ान भरना हमेशा रोमांचक रहा है। अब जमीन पर पैरों के साथ या पहियों के साथ, थोड़ा अनुशासन भी जुड़ गया है।


समय ही बताएगा कि यह निर्णय सफर को सुगम बनाता है या असर उड़ान से पहले ही यात्रियों के मन में उतरना शुरू हो गया है।

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