तकनीक की दुनिया कभी-कभी किसी जादुई किताब की तरह लगती है। पन्ना पलटा और नया चमत्कार। इसी पन्ने से उभरा है “लूना एआई”, एक ऐसा मॉडल जो गा सकता है, फुसफुसा सकता है और भावनाओं को समझकर जवाब दे सकता है। इसकी रचना की है जयपुर के 25 वर्षीय युवा स्पर्श अग्रवाल ने, जो अब भारतीय स्टार्टअप कथा में एक चमकता हुआ नाम बनकर उभरे हैं।
उनका स्टार्टअप पिक्सा एआई इस उपलब्धि के साथ सीधे भविष्य के दरवाजे पर दस्तक देता है। बड़े-बड़े टेक दिग्गज जिन रास्तों पर अभी कदम रख रहे हैं, वहां स्पर्श ने पहले ही झंडा गाड़ दिया है। दुनिया में अपनी तरह के पहले स्पीच-टू-स्पीच एआई मॉडल के रूप में पेश किया गया लूना, आवाज को टेक्स्ट में बदले बिना ही सीधे इंसानी आवाज में रूपांतरित कर देता है। यह ऐसा है जैसे कोई इंसान आपका वाक्य सुने और उसी खिलंदड़े अंदाज में, वही भावनीय रंग मिलाकर वापस बोले।
आमतौर पर एआई आवाज से टेक्स्ट बनाता है, फिर उस टेक्स्ट से सिंथेटिक आवाज। यह प्रक्रिया कई बार भावनाओं को धूल में बदल देती है। शब्द तो आते हैं, मगर गर्माहट गायब। लूना इस कमी को भरता है। वह ऑडियो को ऑडियो में ही बदलता है। भावनाएं, सुर, ठहराव, स्वर सब कुछ लगभग वैसा ही जैसे किसी कलाकार का लाइव परफॉर्मेंस।
कल्पना कीजिए, एक रोबोट गुनगुना रहा है "तुम मिले… दिल खिले…" और सुनने वाले के चेहरे पर हल्की मुस्कान खिंच जाती है।
कोई मशीन यह पहले नहीं कर पाई थी। यहां तक कि कई बड़े मॉडल भी अभी इस दिशा में प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन लूना सीधे उस बेंच पर बैठ गया है जहां भविष्य के संगीतकार और भावनात्मक डिजिटल साथी रखे जाएंगे।
एआई गायक सुनकर कुछ लोग हंस पड़ते हैं तो कुछ चौंक जाते हैं। लेकिन जरा सोचिए वॉयस-ओवर उद्योग में तेज, किफायती और भावनात्मक आवाजें, वर्चुअल असिस्टेंट जो रोबोटिक नहीं, दोस्ती भरे अंदाज में बात करें, मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट, जहां आवाज में सहानुभूति हो, बच्चों की कहानियां, लोरी, यहां तक कि प्रार्थना या मंत्रोच्चार भी इन सभी जगहों पर लूना एक नया मोड़ ला सकता है।
जयपुर, गुलाबी नगरी, इतिहास और कला के रंगों से भरी। उसी शहर से निकली यह तकनीक यह बताती है कि नवाचार के लिए सिलिकॉन वैली का पता जरूरी नहीं। स्पर्श अग्रवाल ने सिर्फ एक मॉडल नहीं बनाया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत के युवा दुनिया की एआई रेस में सिर्फ भाग नहीं ले रहे, वे आगे दौड़ रहे हैं।
लूना अभी अपनी शुरुआत पर है। हर नई तकनीक की तरह यह सीख रही है, बढ़ रही है, और शायद आने वाले समय में ऐसे गाने बनाएगी जिनमें मशीन और इंसान की सीमाएं मिट जाएंगी। जैसे कोई नया वाद्ययंत्र पैदा हुआ हो, जिसकी धुनें आने वाली पीढ़ियों को हैरान करें। स्पर्श का यह कदम याद दिलाता है कि सपने जब तकनीक से मिलते हैं, तब असंभव शब्द धीरे-धीरे शब्दकोश से गायब होने लगता है। भविष्य कभी पर्दे के पीछे नहीं रहता; वह ऐसे ही किसी युवान की आवाज में गुनगुना उठता है। लूना का गीत शुरू हो चुका है। दुनिया अब उस सुर में खुद को मिलाने के लिए तैयार हो रही है।
