पटना में स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती मांग का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आईजीआईएमएस (IGIMS) में एक ही दिन में 7500 से अधिक मरीज पहुंचे, जबकि पीएमसीएच (PMCH) में करीब 2500 मरीजों ने इलाज के लिए पंजीकरण कराया। दोनों अस्पतालों में सुबह से ही लंबी कतारें लगी रहीं और ओपीडी के बाहर भीड़ का आलम ऐसा था कि कई मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ा।
डॉक्टरों के मुताबिक, इन दिनों मौसमी बीमारियों, जैसे वायरल फीवर, खांसी-जुकाम, डायरिया और स्किन इंफेक्शन के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। साथ ही, डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बढ़ते मरीजों को संभालने के लिए अतिरिक्त डॉक्टरों और नर्सों की ड्यूटी लगाई जा रही है।
आईजीआईएमएस प्रशासन ने बताया कि कई मरीज गांवों और छोटे शहरों से आ रहे हैं क्योंकि वहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं की कमी है। वहीं पीएमसीएच में डॉक्टरों ने कहा कि मरीजों की भीड़ के बावजूद सभी को इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन बिस्तरों की संख्या सीमित होने से कई मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में ही भर्ती करना पड़ा।
अस्पतालों में ओपीडी और इमरजेंसी दोनों पर दबाव बढ़ गया है। कई मरीजों को सलाह दी गई है कि वे सामान्य बीमारियों के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों का उपयोग करें ताकि बड़े अस्पतालों का बोझ कम किया जा सके।
कुल मिलाकर, राजधानी पटना में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति इस समय अत्यधिक दबाव में है, और अगर मरीजों की संख्या ऐसे ही बढ़ती रही, तो आने वाले दिनों में अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर और असर पड़ सकता है।
